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भारत की हिंदी साहित्य में छायावादी काल के प्रमुख चार स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश भारत में हुआ। और मात्र 80 साल की उम्र में उनकी मृत्यु 11 सितम्बर 1987 को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में हुई। आज हम इनके सम्पूर्ण जीवन परिचय के बारे में जानेंगे।
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नाम (Name) | महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) |
जन्म तिथि और स्थान (date of birth & place) | 26 मार्च 1907, अयोध्या, भारत |
मृत्यु का समय और स्थान (date of death & place) | 11 सितम्बर 1987 प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
पेशा (profession) | उपन्यासकार, लघुकथा लेखिका |
पति का नाम (husband name) | डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा |
महादेवी वर्मा को मिले पुरस्कार और सम्मान | 1956 में पदम भूषण, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1988 में पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
माता पिता का नाम (parents name) | माता का नाम हेमरानी देवी, पिता का नाम श्री गोविंद प्रसाद वर्मा |
उपनाम | आधुनिक मीरा, हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती |
महादेवी वर्मा एक ऐसी कवयित्री हैं, जिन्होंने भारत के गुलामी और आजादी दोनो के दिन देखकर साहित्यिक रचनाएं की है। इनके परिवार में पहले कई पीढ़ियों से लड़कियां नहीं हुई इस कारण जब ये पैदा हुई तो इनके दादाजी बाबा बाबू बाँके विहारी जी ने इनको घर के देवी मानते हुए इनका नाम महादेवी रख दिया।
महादेवी वर्मा के पिता जी गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर जिले के एक महाविद्यालय में प्राध्यापक थे। इनकी माताजी हिंदू धर्म के सिंहासनासीन भगवान की पूजा अर्चना किया करती थी। इनका संपूर्ण परिवार रामायण, गीता का पाठ किया करता था।
हिंदी साहित्य के अपने जीवन काल में छायावादी युग को अपने अनुसार डाल और उस युग में इनके साथी सुमित्रानंदन पंत और निराला जी को इन्होंने अपना भाई माना और उनको राखी भी बांधती थी।
महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल इंदौर से की और उन्होंने चित्रकला, संस्कृत, अंग्रेजी की पढ़ाई घर पर रहकर की। विवाह के कारण महादेवी वर्मा की शिक्षा में थोड़ी रुकावट आए लेकिन विवाह के बाद उन्होंने क्रास्थवेट कॉलेज, प्रयागराज में दाखिला लिया और हॉस्टल में ही रहने लगी। इन्होंने 1921 में आठवीं बोर्ड 1925 में 12वीं कक्षा पास की। 1932 में इन्होंने प्रयागराज विश्वविद्यालय से m.a. किया और इनकी दो कविता संग्रह रश्मि और विहार इस उम्र में प्रकाशित हो चुके थे।
इनकी विद्यालय में इनकी मित्र मोहन कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने इनको बहुत प्रभावित किया और इन को आगे बढ़ने में इनका बहन की तरह साथ दिया।
महादेवी वर्मा का विवाह 1916 में नवाबगंज गंज कस्बे के स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया। लेकिन उस समय स्वरूप नारायण जी दसवीं कक्षा में थे और महादेवी वर्मा उस समय छात्रावास में रहती थी इस कारण इनके बीच जो संबंध था वह मधुर बना रहा और कभी-कभी यह पत्रों से आपस में बातचीत भी किया करते थे। इनके पति की मृत्यु 1966 में हुई जिसके बाद यह इलाहाबाद में ही रहने लगी।
इन्होंने अपनी कविता में खड़ी बोली का प्रयोग किया और इतने कोमलता से किया की वे पहले ब्रज भाषा में ही किया गया लेकिन इन्होंने खड़ी बोली को चुना। इनके काव्य में संस्कृत से पढ़ी होने के कारण संस्कृत के शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। और इन्होंने बंगला भाषा से भी अपना जुड़ाव दिखाया है।
महादेवी वर्मा के आठ कविता संग्रह है जिनमे निहार 1930 में, रश्मि 1932 में, सांध्यगीत 1936 में, दीपशिखा 1942 में सप्तपर्णा को अनूदित है 1959 में प्रथम आयाम 1974 मेंं अग्निरेखा 1990 में प्रकाशित हुए।
देवी वर्मा जी के 10 से ज्यादा काव्य संकलन प्रकाशित हुए जिनमें से निम्न है।
आत्मिका, निरन्तरा, परिक्रमा, सन्धिनी 1965 में यामा 1936 में गीतपर्व, दीपगीत, स्मारिका और हिमालय उल्लेखनीय है।
महादेवी वर्मा के प्रमुख रेखा चित्रों में अतीत के चलचित्र 1941 में और स्मृति की रेखाएं 1943 में श्रृंखला की कड़ियां और मेरा परिवार उल्लेखनीय है।
महादेवी वर्मा ने 1956 में पद का साथी और 1972 में मेरा परिवार स्मृति चित्रण 1973 में और संस्मरण 1983 में उल्लेखनीय संस्मरण लिखे।
महादेवी वर्मा के प्रमुख निबंध संग्रह में श्रृंखला की कड़ियां 1942 में प्रकाशित हुई और विवेचनात्मक गद 1942 साहित्यकार की आस्था और अन्य निबंध 1962 संकल्प ता 1969 और भारतीय संस्कृति के स्वर उल्लेखनीय है।
देवी वर्मा के प्रमुख कविता संग्रह में ठाकुरजी भोले हैं और आज खरीदेंगे हम ज्वाला प्रमुख है।
महादेवी वर्मा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आपको जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी डॉट कॉम वेबसाइट पर मिल जायेगी।
आपको सभी जानकारी जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी डॉट कॉम वेबसाइट पर मिलेगी।
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