तुलसी गौड़ा एक भारतीय आदिवासी पर्यावरणविद् है, जिन्हे 30 हजार पेड़ लगाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। इनका जन्म 1944 में उत्तर कन्नड़, कर्नाटक में हुआ
इनका नाम तुलसी गौड़ा है। वे कर्नाटक से हैं और पिछले छह दशक से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इन्होंने 30 हजार से अधिक पौधे लगाए हैंं। इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।#PadmaAwards pic.twitter.com/9eazEC16ze
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) November 8, 2021
तुलसी गौड़ा जीवन परिचय | Tulsi Gowda biography in Hindi
नाम | तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) |
जन्म स्थान और समय | 1944 में उत्तर कन्नड़, कर्नाटक |
पेशा | पर्यावरणविद् |
पद्म श्री पुरस्कार | 8 नवम्बर 2021 |
नंगे पैर और एक तरफ की धोती के के साथ लेने पहुंची पद्म श्री
तुलसी गौड़ा को जब पदम श्री अवार्ड दिया गया तो उन्होंने अपनी संस्कृति को बिलकुल नही बदला और नंगे पैर ही पद्म श्री पुरस्कार लेने पहुंच गई और इसके बाद पूरे देश में इनकी सराहना हुई।
तुलसी गौड़ा का प्रारंभिक जीवन
तुलसी गौड़ा होन्नल्ली गांव के हक्काली आदिवासी परिवार से आती है यह जगह कर्नाटक में है जहां 25 वन्यजीव अभयारण्य और 5 राष्ट्रीय उद्यान भी है।
तुलसी गौड़ा एक गरीब परिवार में पैदा हुई और जब ये 2 वर्ष की थी तो इनके पिताजी इनको छोड़कर चले गए और इनको अपनी मां के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना पड़ा। धीरे धीरे तुलसी बड़ी हुई तो इनको शिक्षा लेने से भी रोक दिया गया और वो आज भी पढ़ने लिखने में असमर्थ है।
तुलसी गौड़ा की 10 से 12 वर्ष की उम्र में शादी कर दी गई और जब वह 50 वर्ष की रही होंगी तब उनके पति भी उनको दुनिया से छोड़कर चले गए।
तुलसी गौड़ा उन पेड़ो और बीजों की देखभाल करती थी जिनको कर्नाटक वानिकी विभाग में उगाया जाता था।
तुलसी गौड़ा के बारे में रोचक तथ्य
- 1986 में तुलसी को इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षामित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1999 में तुलसी गौड़ा को कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार दिया गया।
- तुलसी गौड़ा को उनकी जनजाति में पेड़ देवी के नाम से जाना जाता है।
- और पर्यावरणविद इनको जंगल के विश्वकोश के नाम से जानते है।
- ये जंगल के लगभग हर पेड़ को पहचान सकती है।