निहारिका को आप एक ब्रह्मांड की नर्सरी है, जैसे नर्सरी में पौधों का विकास होता है वैसे ही निहारिकाओ में तारों और आकाशीय पिंडो का निमार्ण होता है। निहारिका धूल और गैसों के बादलों से भरी होती है। लगभग सभी तारों निर्माण निहारिका ने होता है।
निहारिका की उत्पत्ति दो कारणों से होती है, पहला ब्रह्मांड की उत्पत्ति और दूसरा किसी तारे के विस्फोट से बने सुपरनोवा से। सुपरनोवा से जो पदार्थ निकलता है उससे निहारिका का जन्म होता है।
ब्रह्मांड के जन्म के बाद परमाणु का जन्म हुआ होगा और उन परमाणुओं से धूल और गैस के बादलों का निर्माण हुआ।
निहारिका के कुछ प्रकार
उत्सर्जन निहारिका
उत्सर्जन निहारिका वह निहारिका होती है, जो तरंग दैर्ध्य रंग बिरंगे प्रकाश का उत्सर्जन करती है। उत्सर्जन निहारिकाओं का तापमान 20,000 K के लगभग होता है।
परावर्तन निहारिका
परावर्तन निहारिका तारों के प्रकाश को परिवर्तित करती रहती हैं। धूल के बीच ये चमकीले तारे निहारिका के अंदर या निहारिका के पास होते है। इसका तापमान 25,000 K के आसपास रहता है। इनकी खोज 1912 में वेस्टो स्लिईफर ने की थी।
श्याम निहारिका
यह निहारिका काली होती है और अपने से पीछे से आने वाले प्रकाश को रोक देती है, इसी कारण से हम अपनी आकाश गंगा से दूर तक नही देख सकते है। क्योंकि बीच में कई श्याम निहारिकाएं होती है।
ग्रहीय नीहारिका
ग्रहीय नीहारिका का निर्माण बड़ी उम्र के तारे के आसपास की गैस मिलकर बड़े लाल दानव तारे का रूप ले तो ग्रहीय नीहारिका कहा जाता है।
तारों के मुकाबले निहारियाओ की उम्र कम होती है।