राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1886 को मुरसान उत्तर प्रदेश के राजा घनष्यामसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ। लेकिन बाद में उनको हाथरस के राजा हरनारायणसिंह ने गोद ले लिया। इन्होंने अपनी बीए तक की शिक्षा सर सैय्यद खा स्कूल से की।
राजा का नाम | जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह |
रियासत का नाम | मुरसान रियासत, बाद में हाथरस |
जन्म की तारीख और समय | 1 दिसंबर 1886 को हाथरस, उत्तर प्रदेश भारत |
मृत्यु की तारीख और समय | 19 अप्रैल 1979 को |
भारत सरकार के अस्थाई अध्यक्ष कार्यकाल | 1 दिसंबर 1915 से जनवरी 1919 |
लोकसभा सांसद कार्यकाल | 1857 से 1962 |
शिक्षा | सर सैय्यद खा स्कूल से बीए तक पढ़े |
पिता का नाम | राजा हरनारायणसिंह |
जाति | जाट |
धर्म | हिंदू |
प्रेम विश्वविद्यालय की स्थापना | 10000 रूपये देकर 1909 में |
राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय | अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश , भारत |
गद्दी पर कब बैठे | |
नागरिकता | भारतीय |
उपनाम | आर्यन पेशवा |
कहानी शुरू होती है, 1817 से जब हाथरस के राजा दयाराम(raja dayaram) ने अंग्रेजो से युद्ध किया और मुरसान(mursan) के राजा ने भी हाथरस के राजा का खूब साथ दिया। जब हाथरस(Hathras) के राजा दयाराम को अंग्रेजो ने बंदी बना लिया तब उनकी मृत्यु 1841 में हो गई। और राजा दयाराम के पुत्र गोविंद सिंह गद्दी पर बैठे और गोविंद सिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजो का साथ दिया लेकिन अंग्रेजो ने गोविंद सिंह को राज्य लौटने से इंकार कर दिया।
और फिर कुछ गांवों ने मिलकर 50000 रुपए अंग्रेजो को दिए और राजा की पदवी और पूरे राज्य का अधिकार अंग्रेजो और राजा गोविंद सिंह से छीन लिया। और 1861 में राजा गोविंद सिंह का भी देहांत हो गया। गोविंद सिंह का कोई पुत्र न होने के कारण अंग्रेजो ने महारानी साहबकुँवरि को पुत्र गोद लेने का अधिकार दे दिया गया। और साहिब कुमारी ने ठाकुर रूप सिंह के पुत्र हरनारायण सिंग को गोद ले लिया। और हरनारायण के भी कोई पुत्र न होने के कारण उन्होंने मुरसान के राजा घनश्याम (raja ghanshyam) के तीसरे पुत्र महेंद्र प्रताप सिंह को गोद ले लिया। और राजा महेंद्र प्रताप सिंह मुरसान छोड़कर हाथरस राज्य के राजा बने। हाथरस राज्य की राजधानी वृंदावन में है जहां पर एक विशाल भव्य महल में राजा महेंद्र प्रताप सिंह रहते थे।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह का विवाह हरियाणा राज्य के जींद रियासत की राजकुमारी संगरूर के साथ हुआ। उनके विवाह में बारात भी ट्रेन से ले जाई गई। 2 ट्रेन में बारात ले जाना उस जमाने में किसी राजसी ठठबाठ से कम न था। कहते है , की राजा महेंद्र प्रताप सिंह जब भी अपने ससुराल जाते थे तो उनको 11 तोपो की सलामी दी जाती और स्टेशन पर सभी अफसर उनका भव्य स्वागत किया करते थे।
महेंद्र प्रताप सिंह की आजाद हिंद फौज(aazad Hind fauj) का संबंध सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज से बिल्कुल भी नहीं था उन्होंने अफगानिस्तान के लोगो के साथ मिलकर भारत की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया और भारत को एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया। और अपने आप को स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रपति घोषित किया।
महेंद्र प्रताप सिंह (mahendra pratap singh) धर्मनिरपेक्ष राजा थे जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए जमीन दान दी और आर्य प्रतिनिधि सभा को 80 एकड़ का बाग दान में दे दिया।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह जातिगत छुआछूत के भी बिलकुल खिलाफ थे। उन्होंने सभी भारतीयों के लिए उच्च शिक्षा का प्रावधान किया और सभी को उच्च शिक्षा लेने के लिए प्रेरित किया।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह अपनी संपूर्ण संपत्ति प्रेम विश्वविद्यालय को दान करना चाहते थे लेकिन राज्य के कुछ भरोसेमंद मंत्रियों ने समझाया कि यह उनकी संपत्ति नहीं है यह उनकी पुश्तैनी संपत्ति है इसलिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी आधी संपत्ति प्रेम विश्वविद्यालय को दान कर दी। जिसमे 2 महल और 5 गांव शामिल थे।
उन्होंने अपनी माताओं के रहने का स्थान तक विश्वविद्यालय के लिए दान कर दिया लेकिन बाद में उन्होंने अपनी माताओं के रहने के लिए विश्वविद्यालय से वह जमीन ₹10000 में खरीद ली। 1909 में प्रेम विश्वविद्यालय(prem University) की रजिस्ट्री करा दी गई और महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर प्रेम विश्वविद्यालय(University) को शुरू किया गया।
अब उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह को सम्मान देने के लिए उत्तर प्रदेश के जिले अलीगढ़ में उनके नाम से विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटी बनने को लेकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। बीजेपी सरकार ओबीसी में जाटों को साधने के लिए यूनिवर्सिटी बनवा रही है ऐसा सभी का कहना है लेकिन बीजेपी सरकार एकदम सही कार्य करती है, ये भी लोगो का मानना है।
विकिपीडिया के अनुसार राजा महेंद्र प्रताप सिंह को जाट(jaat) जाति का बताया जा रहा है।
1 दिसंबर 1886 को हाथरस, उत्तर प्रदेश भारत
राजामहेंद्र प्रताप सिंह को आर्यन पेशवा के उपनाम से जाना जाता है।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह(raja mahendra pratap singh) मुरसान रियासत के राजकुमार और हाथरस रियासत में राजा थे।
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