सिख दिवाली क्यों मनाते है? बंदी छोड़ दिवस | sikh diwali kyu manate hai

दीपावली सिर्फ हिंदू धर्म का नही बल्कि सिख, धर्म और जैन धर्म के साथ साथ बौद्ध धर्म का भी त्योहार है सिख इस दिन बंदी छोड़ दिवस मनाते है। जिसके बारे में आप संपूर्ण जानकारी नीचे देख सकते है।

बंदी छोड़ दिवस का इतिहास और कहानी

यह कहानी तब की है जब दिल्ली पर जहांगीर का शासन था, तब क्रूर मुगल जहागीर ने सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब को बंदी बना लिया था और ग्वालियर की उस जेल में रखा जहां पहले से ही 52 हिंदू राजा कैद थे।

जैसे ही जहांगीर ने हरगोविंद साहिब को कैद किया वह बहुत तेज बीमार पड़ गया और उसने इसका कारण काजी से पूछा तो उसने जवाब दिया की उसने किसी सच्चे गुरु को कैद किया है अगर वो उसे छोड़ दे तो वो ठीक हो सकता है।

जिसके बाद मुगल बादशाह जहांगीर ने हरगोबिंद साहिब को छोड़ने के लिए तुरंत आदेश जारी किया। लेकिन हरगोबिंद साहिब ने अकेले जाने से इंकार कर दिया क्योंकि उन्होंने अपने साथ 52 हिंदू राजाओं को भी ले जाने की बात कह दी जिसे जहांगीर ने सशर्त मन लिया कहा वो उतने ही हिंदू राजाओं को छोड़ेंगे जिन्होंने हरगोबिद साहिब का कोई कपड़ा पकड़ा होगा।

लेकिन हरगोबिंद साहिब ने ऐसा कुर्ता सिलवाया जिसमे 52 कलियां थी तो इससे सभी हिंदू राजाओं को भी जेल से मुक्त करना पड़ा और कहते है की इसके बाद गुरुजी जब अमृतसर पहुंचे तो उनका स्वागत मोमबत्तियां और दिए जलाकर किया गया। उसी दिन से सिख कार्तिक मास की अमावस्या को दाता बंदी छोड़ दिवस मनाते है।

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