द्रविड़ नाडु: क्या है इसका इतिहास तमिलनाडु में क्यों उठी अलग राष्ट्र की मांग और क्यों खत्म हो गया ये आंदोलन

द्रविड़ नाडु (Dravida Nadu) एक विचार है जो साल 1938 में ई वे रामासामि पेरियार ने “तमीलो के लिए तमिलनाडु” नारे से शुरू हुआ। उन्होंने पूरे भारत में हिंदी की अनिवार्य शिक्षा का विरोध किया और अलग प्रदेश को मांग करने लगे।

द्रविड़ नाडु शुरुआत में एक ब्रह्मण विरोधी आंदोलन था लेकिन धीरे धीरे इसने उत्तर विरोधी और फिर अलगाववाद को बढ़ावा मिलने के बाद एक संप्रभु राज्य की मांग शुरू कर दी।

द्रविड़ नाडु की मांग इसका इतिहास और प्रासंगिकता
द्रविड़ नाडु की मांग इसका इतिहास और प्रासंगिकता
Dravida Nadu: from political oblivion to centre-stage
द्रविड़ नाडु: राजनीतिक गुमनामी से लेकर केंद्रीय मंच तक – 19 मार्च 2018 द हिंदू का लेख
  • The Hindu: साल 1963 में डीएमके द्वारा द्रविड़ नाडु की मांग छोड़ने के 55 वर्ष बाद (2022) द्रविड़ नाडु की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है।
  • तमिलनाडु DMK अध्यक्ष M. K. Stalin ने भी दक्षिण भारतीय राज्यों का समर्थन करने की बात इससे पहले कही थी।

इस लेख में हम द्रविड़ नाडु के बारे में क्या क्या जानेंगे?

द्रविड़ नाडु का आंदोलन उत्तर भारत के खालिस्तान आंदोलन से थोड़ा हटकर है हालांकि दोनों ही अलग राष्ट्र की मांग करते है लेकिन इनमे जो खास अंतर है उसे हम नीचे विस्तार से जानेंगे?

द्रविड़ नाडु क्या है? इसकी मांग कब उठी क्या है इसकी पृष्ठभूमि?

द्रविड़ नाडु की मांग में उनका झंडा, नक्शा और राजधानी क्या है?

सरकारी नौकरी जैसे यूपीएससी की तैयारी कर रहे और इतिहास आदि के छात्रों के लिए इस लेख में आपको पूरा एनालिसिस मिलेगा एक्सप्लेनेशन के साथ?

आइए हम जानते है द्रविड़ नाडु की पृष्ठभूमि

ईवी रामासामी ‘पेरियार का आत्म सम्मान आंदोलन

ईवी रामासामी ‘पेरियार’ ने सबसे पहले तमिल भाषा और लोगो को पहचान और संस्कृति को बनाए रखने के लिए आत्म सम्मान आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने एक द्रविड़ राष्ट्र का सपना सोचा जिसमे तमिलो के साथ तेलगु और मलयालम भाषी लोग भी शामिल थे। अपने इस द्रविड़ नाडु के सपने को साकार करने के लिए पेरियार ने एक राजनीतिक दल की स्थापना की जिसका नाम था जस्टिस पार्टी जिसकी स्थापना 17 सितंबर 1879 में की गई और बाद में 1944 में इसका नाम बदलकर पेरियार ने ही द्रविड़ कड़गम (DK) रख दिया।

द्रविड़ नाडु की मांग का एक संक्षिप्त इतिहास और इसका विकास
द्रविड़ नाडु की मांग का एक संक्षिप्त इतिहास और इसका विकास – 8 जुलाई 2022 – इंडियन एक्सप्रेस में छपा लेख
  • The Indian Express: द्रमुक एमपी ए राजा ने हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के सामने द्रविड़ नाडु की बात की।

सीएन अन्नादुरई द्वारा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की स्थापना

सीएन अन्नादुरई मद्रास के अंतिम और तमिलनाडु के प्रथम मुख्यमंत्री थे इन्होंने पेरियार की पार्टी से हटकर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) पार्टी की स्थापना की जिसकी विचारधारा पेरियार से थोड़ी अलग थी। इन्होंने एक अलग राष्ट्र की मांग छोड़कर तमिलनाडु को अधिक स्वायत्तता और दक्षिण भारतीय राज्यों को आपसी सहयोग से लेकर चलना सही समझा।

स्वतंत्रता के बाद भी द्रविड़ कषगम (डीके) ने द्रविड़ नाडु की मांग जारी रखें और पेरियार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। जिसके बाद अन्नादुरई वैचारिक मतभेदों के कारण पेरियार से अलग हो गए और उनकी DMK में शामिल हो गए।

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क्यों अलग राष्ट्र की मांग की जा रही है?

भाषाई कारण

  • जब हिंदी को देश को साझा भाषा बनाया गया तो पेरियार को ये अच्छा नही लगा उन्होंने इस प्रयास को तमिल लोगो को उत्तर भारतीयों का गुलाम बनने जैसे नजरिए से देखा।
  • पेरियार और उनके समर्थक चाहते थे की तमिलनाडु में तमिल भाषा में शिक्षा दी जाए और उन्हे स्वतंत्रता दी जाए।
  • तमिल लोगो को हिंदी भाषा में प्रवेश ना दिया जाए या इनकी मर्जी पर ही दिया जाए किसी भी प्रकार से हिंदी उनके उपर ना थोपी जाए।

राजनीतिक कारण

  • कई पार्टियों ने अपने राजनीतिक हित साधने के लिए द्रविड़ नाडु की विचारधारा का समर्थन किया और अपने राजनीतिक एजेंडे में इसे शामिल कर उनके नेताओं ने देश विरोधी भाषण दिए है।

आर्थिक कारण

  • भारत का दक्षिणी इलाका उत्तरी इलाकों से कुछ ज्यादा विकसित है और जी डी पी में उनका योगदान उत्तरी भारत से ज्यादा रहता है। और इसके कारण वे चाहते है की इनको टैक्स के बटवारे में भी ज्यादा पैसे मिलें।
  • भारत में सभी राज्यों में केंद्र द्वारा टैक्स का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर किया जाता है लेकिन दक्षिण भारतीय राज्यों में जनसंख्या पर नियंत्रण कर लिया गया है और वहां की जनसंख्या कम है और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की जनसंख्या बहुत अधिक तो इसके अनुसार उत्तर प्रदेश को बहुत अधिक टैक्स का पैसा मिलेगा।

द्रविड़ नाडु की मांग में उनका झंडा, नक्शा और राजधानी

जिस द्रविड़ नाडु का सपना पेरियार ने देखा था उसकी राजधानी चन्नई (मद्रास) थी और उसके नक्शे में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ इलाके शामिल थे। इसका कोई झंडा उन्होंने जारी नही किया लेकिन उनकी पार्टी द्रविड़ कड़गम का झंडा था। जिनके फोटो आप नीचे देख सकते है।

द्रविड़ नाडु की मांग का कम होना

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956

1952 में स्वतंत्रता सेनानी पोट्टी श्रीरामुलु की 56 दिनों की भूख हड़ताल के अंत में एक अलग तेलुगु राज्य की मांग के लिए मृत्यु हो गई। और इससे केंद्र सरकार पर दबाव बना और 1953 में न्यायमूर्ति फजल अली, इतिहासकार केएम पणिक्कर और सांसद एचएन कुंजरू के तहत राज्य पुनर्गठन आयोग (एसआरसी) का गठन किया गया।

राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट भाषाई आधार पर राज्य बनाने के पक्ष में थी। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग के सुझावों को शामिल किया गया और भाषा के आधार पर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मैसूर और केरल राज्यों का निर्माण किया। और द्रविड़ नाडु की मांग को काफी कमजोर कर दिया गया।

The Dream of Dravida Nadu: How the movement started with heroic speeches and ended in a damp anti-climax
द्रविड़ नाडु का एक सपना जिसका आंदोलन भाषणों के साथ शुरू हुआ और कैसे चरमोत्कर्ष पर समाप्त हुआ – 15 सितंबर 2020 की ऑप इंडिया की रिपोर्ट
  • Op India: यह एक वहम है की डीएमके ने स्वतंत्र तमिलनाडु की मांग को छोड़ दिया है।

16 वा संविधान संशोधन 1963

1962 के भारत और पाकिस्तान युद्ध में डीएमके ने अलग तमिलनाडु की मांग छोड़ दी और देश के साथ मिलकर एकता का परिचय दिया। और 16 संविधान संशोधन 1963 में विधानमंडल या संसद के प्रत्येक सदस्य से भारतीय संघ की एकता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा करने की मांग रखी।

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क्यों चर्चा में बना रहता है द्रविड़ नाडु आंदोलन

डीएमके सांसद अंदिमुथु राजा ने 3 जुलाई 2022 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की उपस्थिति में कहा की अगर केंद्र सरकार तमिलनाडु को अधिक स्वायत्तता नही देती है तो डीएमके को मांग पुनर्जीवित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हम मुख्यमंत्री अन्नादुरई जी के रास्ते पर चल रहे है हमें पेरियार के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर मत करो। लेकिन राजा ने ट्वीट के अंत में लिखा की “राष्ट्रीय अखंडता और लोकतंत्र महत्वपूर्ण हैं।”

नीलगिरी से डीएमके सांसद अंदिमुथु राजा, 3 जुलाई 2022

साल 2018 में DMK के कार्यकारी अध्यक्ष और तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता थे, ने कहा कि अगर दक्षिणी राज्यों को मिलाकर द्रविड़ नाडु की मांग की गई, तो वह इसका समर्थन करेंगे।

एमके स्टालिन, 2018

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