गणेश चतुर्थी 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त, आरती, कहानी, इतिहास और महत्व | Ganesh Chaturthi 2022 Date, Story, Aarti History & Importance In Hindi

गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है यह एक हिंदू त्योहार है। इसे मां पार्वती के साथ श्री गणेश जी के कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आने के जश्न में मनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को ही भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।

Ganesha Chaturthi: जानें कब और कैसे मनाए गणेश चतुर्थी 2022: इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, आरती, कहानी, इतिहास और महत्व
Ganesha Chaturthi: जानें कब और कैसे मनाए गणेश चतुर्थी 2022: इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, आरती, कहानी, इतिहास और महत्व

गणेश चतुर्थी 2022 तिथि

गणेश चतुर्थी को भाद्रपद मास (भादू) की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस वर्ष भादू शुक्ल चतुर्थी 31 अगस्त 2022 (बुधवार) के दिन पड़ेगी।

गणेश चतुर्थी पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त

आप 31 अगस्त के दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 1:30 तक पूजा विधि संपन्न कर सकते हैं। आपको सच्चे मन से पूजा करनी है।

गणपति बप्पा की स्थापना का मुहूर्त और विसर्जन की तिथि

  • आप 31 अगस्त 2022 को सुबह 11 बजे सच्चे मन से गणपति बप्पा की विनायक चतुर्थी के दिन मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।
  • गणेश जी का विसर्जन 9 सितंबर 2022 को शुक्रवार के दिन कर सकते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व

  • पुराणों के अनुसार माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था।
  • यह दिन गणेश जन्मोत्सव के नाम से भी बनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2022 पर करें इस आरती का गायन

गणेश जी की आरती | Shree Ganesh Chaturthi 2022 Aarti In Hindi
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गणेश चतुर्थी व्रत की कहानी और इतिहास

  • पहली कथा: एक बार देवता संकट में घिर गए उसके बाद उन्होंने महादेव से सहायता लेने की सोची और महादेव से प्रार्थना करने देवता आए तब श्री गणेश और कार्तिकेय दोनो अपने पिताजी के साथ बैठे थे।
  • तब महादेव ने देवताओं की विपदा सुनकर कार्तिकेय और गणेश जी दोनो से पूछा की कौन देवताओं की समस्याओं का हल कर सकता है।
  • जब श्री गणेश और कार्तिकेय दोनों ने देवताओं की समस्या हल करने के लिए कहा लेकिन भगवान महादेव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और कहा जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा वो ही इनके साथ जायेगा।
  • इतना सुनते ही श्री कार्तिकेय जी अपने वाहन मोर के साथ पृथ्वी का चक्कर लगाने निकल पड़े लेकिन श्री गणेश जी मूषक साथ कहीं नहीं गए।
  • उन्होंने बाद में अपने माता पिता (महादेव और पार्वती) के सात चक्कर लगाए और बैठ गए।
  • शिव जी के यह पूछने पर कि उन्होंने पृथ्वी का चक्कर क्यों नहीं लगाया तो उन्होंने कहा कि माता-पिता के पैरों में समस्त संसार होता है यह सुनकर शिवजी ने गणेश जी को देवताओं के साथ भेज दिया।
Ganesh Chaturthi History: शिवाजी महाराज मनाते थे गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक महोत्सव बाद में स्वतंत्रता सेनानियों में एकता की अलख जगाने के लिए अमर वीर बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी को फिर से सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया।
Ganesh Chaturthi History: शिवाजी महाराज मनाते थे गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक महोत्सव बाद में स्वतंत्रता सेनानियों में एकता की अलख जगाने के लिए अमर वीर बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी को फिर से सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया।

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