झण्डा सत्याग्रह – जबलपुर में शान्तिपूर्ण नागरिक अवज्ञा आन्दोलन की पृष्ठभूमि और इतिहास

झण्डा सत्याग्रह (Flag Satyagraha) एक सविनय अवज्ञा आंदोलन का हिस्सा था जो साल 1923 में मध्यप्रदेश के नागपुर और जबलपुर जगहों पर बाबू कंछेदीलाल जैन के नेतृत्व में चलाया गया। हालांकि बाद में ध्वज सत्याग्रह पूरे भारत में फैला और भारतीयों के अंदर सर्वप्रथम राष्ट्रवादी भावना पैदा की।

आज हम आपको MPPSC में आने वाले ध्वज या झंडा सत्याग्रह के बारे में बताने जा रहे है। आप इस तथ्यों को ध्यान से जरूर पढ़े।

झंडा सत्याग्रह की पृष्ठभूमि

  • झंडा सत्याग्रह (Jhanda Satyagraha) की शुरुआत मध्यप्रदेश के जबलपुर से हुई।
  • 5 फरवरी 1922 को चोरी चोरा हत्याकांड के बाद असहयोग आंदोलन को गांधीजी को बंद करना पड़ और उन्हें 6 साल की जेल भी हुई। जिसके बाद कांग्रेस ने एक कमिटी बनाई हकीम अजमल खां कमिटी जो पूरे भारत में जाकर असहयोग आंदोलन के प्रभाव देख रही थी। और यह कमिटी फरवरी 1923 को मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंच गई।
  • उस समय जबलपुर नगरपालिका अध्यक्ष बाबू कंछेदीलाल जैन थे उन्होंने हकीम अजमल खां कमिटी का भव्य स्वागत और तिरंगा झंडा फहराने का निर्णय किया लेकिन इसपर अंग्रेजी हुकूमत ने मना कर दिया और ब्रिटेन का झंडा फहराने को कहा। लेकिन बाबू कंछेदीलाल जैन ने मना कर तिरंगा फहराने की जिद्द की यही से झड़ा सत्याग्रह की शुरुआत कही जाती है।
  • अंग्रेज सरकार के तिरंगा झंडा फहराने से मना करने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के सदस्य सुंदरलाल शर्मा भूख हड़ताल पर बैठ गए। इस भूख हड़ताल में शामिल होने वाले लोगों में सुभद्रा कुमारी चौहान, लक्ष्मण सिंह चौहान माखनलाल चतुर्वेदी आदि शामिल हुए। और सबने मिलकर 18 मार्च 1923 को झंडा फहराने की बात रखी।
  • उसके बाद सुंदरलाल शर्मा की भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए एक जुलूस निकाला गया और प्रेमचंद जैन नाम का एक व्यक्ति टाउन हॉल पर चढ़ गया और उसने भारत का तिरंगा झंडा फहराया।
  • लेकिन उसके बाद कंछेदीलाल जैन और सुंदरलाल शर्मा सभी ग्रामीण लोगों को जेल में डाल दिया जाता है और भारतीय झंडे को उतारकर उसका अपमान किया जाता है।
  • भारत के झंडे का अपमान देखकर देश के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न होती है और सभी लोग अपने अपने स्तर पर झंडारोहण करते हैं।
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झंडा सत्याग्रह आंदोलन शुरुआत

आंदोलन का नाम (Movement Name)झड़ा सत्याग्रह (Flag Satyagraha)
मुख्य नाम कंछेदीलाल जैन, सुभद्रा कुमारी चौहान, लक्ष्मण सिंह चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, सुंदरलाल शर्मा
वर्ष 1923
प्रमुख जगह जबलपुर, नागपुर, बिलासपुर
  • जबलपुर में भारतीय झंडे का अपमान होने के बाद 13 अप्रैल 1923 से नागपुर से झड़ा सत्याग्रह की पहली ईंट रखी गई।
  • इसके पहले 31 मार्च 1923 को बिलासपुर के टाउन हॉल में तिरंगा फहराया गया था।
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