महाराजा हरि सिंह कश्मीर रियासत के अंतिम डोगरा राजपूत शासक थे। हालांकि उन्हें अपने रोचक कार्यों के लिए जाना जाता है जिनके बारे में हम इस लेख में पूर्ण जानकारी जानेंगे तो लेख को ध्यान से पूरा जरूर पढ़ें।
हरी सिंह जयंती चर्चा में क्यों
- जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह की जयंती 23 सितंबर को आती है और इस साल से इस जयंती की छुट्टी भी घोषित की गई है।
- युवा राजपूत सभा और ट्रांसपोर्ट यूनियन जैसे कई संगठनों के नेताओं से मुलाकात के बाद एलजी सिन्हा ने महाराजा हरि सिंह जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।
राजा हरि सिंह जीवन परिचय | Raja Hari Singh Biography In Hindi
कश्मीर के राजा हरि सिंह का जन्म 23 सितंबर 1895 को हुआ इनके पिताजी का नाम अमर सिंह था और ये हिंदू धर्म के डोगरा राजपूत शासक थे।
पूरा नाम (Full Name) | हरी सिंह बहादुर (Hari Singh Bahadur) |
माता पिता का नाम (Parents Name) | अमर सिंह (Father), भोटियाली छिब (Mother) |
जन्म तिथि और स्थान (Date Of Birth & Place) | 23 सितंबर 1895, जम्मू में |
मृत्यु तिथि और स्थान (Date Of Death & Place) | 26 अप्रैल 1961, मुंबई, महाराष्ट्र |
राज्याभिषेक | 23 सितंबर 1923 (जन्मदिन के मौके पर) |
जाती और धर्म (Caste & Religion) | राजपूत, हिंदू |
शादियां | चार शादियां विस्तार से नीचे बताया गया है |
उत्तराधिकारी | करण सिंह (लेकिन राजशाही समाप्त हो गई) |
हरी सिंह के समय जम्मू कश्मीर का इतिहास और भारत में विलय की कहानी | History Of Jammu And Kashmir During The Time Of Hari Singh And The Story Of Its Merger With India In Hindi
- जम्मू कश्मीर राज्य को हरी सिंह के परदादा गुलाब सिंह ने अंग्रेजो से उस समय ₹75 लाख में खरीदा था।
- आजादी के पश्चात जम्मू कश्मीर ही ऐसा राज्य था जो चार देशों से सीमाएं मिलाता था। (भारत, पाकिस्तान, तिब्बत और अफगानिस्तान)
- महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को धरती का स्वर्ग बनाए रखने के लिए आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में विलय करने से इनकार कर दिया।
- उसके बाद 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत जम्मू कश्मीर पर सशस्त्र आक्रमण शुरू कर दिया।
- कबायलियों के वेश में आए आक्रमणकारी लगातार आगे बढ़ रहे थे और राजा को बहुत लेट इसकी खबर लगी।
- उसके बाद हरी सिंह ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई जिसके बाद सरदार पटेल के सचिव वीपी मेनन जम्मू पहुंचे सेना के साथ और राजा को तुरंत जम्मू छोड़ने को कहा।
- इसके बाद वीपी मेनन वापस दिल्ली आए और कश्मीर के खतरे को सरकार के सामने रखा उसके बाद गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा की जबतक कश्मीर के राजा औपचारिक रूप से विलय पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर देते जबतक भारत का हस्तक्षेप सही नही होगा।
- फिर वीपी मेनन राजा हरि सिंह और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ वापस जम्मू पहुंचे।
- उसके बाद महाराजा ने भारत के साथ जम्मू कश्मीर के विलय पर हस्ताक्षर किए।
- उसके बाद सिख रेजीमेंट की एक पैदल बटालियन जम्मू कश्मीर में तैनात की गई और जम्मू कश्मीर हमेशा के लिए भारत का अभिन्न अंग बन गया।
महाराज हरी सिंह की शादियां और पत्नियों का नाम | Marriages And Names Of Wives Of Maharaj Hari Singh In Hindi
- हरी सिंह की चार शादियां हुई क्योंकि उनकी पहली तीन पत्नियां उन्हे संतान देने में कामयाब नही हुई और उनकी कुछ ही सालों में मृत्यु हो जाती थी।
- पहली शादी रानी श्री लाल कुंवरबा साहिबा से 7 मई 1913 को हुई जिनकी साल 1915 में गर्भावस्था के दौरान मृत्यु हो गई।
- दूसरी शादी रानी साहिबा चंबा से 8 नवंबर 1915 को हुई जिनकी 31 जनवरी 1920 को मृत्यु हो गई।
- तीसरी शादी महारानी धनवंत कुँवेरी बाईजी साहिबा से 30 अप्रैल 1923 से हुई और बाद ने उनकी भी मृत्यु हो गई।
- हरी सिंह की चौथी शादी तारा देवी साहिबा से 1928 में हुई और उनसे उन्हे करण सिंह नाम का पुत्र हुआ। बाद में 1950 में हरी सिंह और तारा देवी साहिबा अलग अलग हो गए।
कश्मीर विलय के बाद हरी सिंह का क्या हुआ और उनकी मृत्यु कैसे हुई?
भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद राजा हरि सिंह को जम्मू-कश्मीर से निर्वासित कर दिया गया और उन्होंने मुंबई में अपने जीवन के आखिरी पल बिताए उनकी मृत्यु के बाद उनकी राख को जम्मू लाया गया और पूरे जम्मू कश्मीर में फैलाया गया उसके बाद तवी नदी में उनकी राख को प्रवाहित किया गया।
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