नाटो (Nato) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य गठबंधन है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस के संभावित हमले से पश्चिमी यूरोप की रक्षा के लिए बनाया गया था। इसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई और इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है।
मुख्य बिंदु
- उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 में कहा गया है:- नाटो में शामिल एक देश पर हमला बाकी सभी देशों पर भी हमला माना जायेगा।
- साल 1966 ई. में फ्रांस सैन्य साझेदारी से हट गया लेकिन साल 2009 में वो वापिस शामिल हो गया।
- सोवियत संघ ने साल 1948 ई. में बर्लिन पर कब्जा किया, तो पश्चिमी यूरोपीय देशों में डर फैल गया। इन देशों की सुरक्षा के लिए अमेरिका के नेतृत्व में NATO का गठन किया गया।
- कनाडा, अमेरिका, और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों(ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी) ने मिलकर 4 अप्रैल, 1949 को अमेरिका के वाशिंगटन में NATO की स्थापना की। इसका उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की विचारधारा को रोकना था।
- NATO का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है। वर्तमान में 30 देश इसके सदस्य हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है।
- नाटो का मकसद राजनीतिक और सैन्य तरीकों से अपने सदस्य देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा बनाए रखना है। साथ ही, सदस्य देशों को सामाजिक आर्थिक तौर पर मदद करना भी है।
- नाटो (NATO) उत्तरी अमेरिका और पूर्वी यूरोपीय देशों का संगठन है, जिसके कारण उनके व्यापार और सामाजिक ढांचे को भी बेहतर बनाने में एक दूसरे की सहायता कर सकते है।
पूरा नाम (Full Form) | उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) |
स्थापना (Establishment) | 4 अप्रैल 1949 |
मुख्यालय (The Headquarters) | ब्रुसेल्स (बेल्जियम) |
आधिकारिक भाषा (Official Language) | अंग्रेजी (English), फ्रांसीसी (French) |
आधिकारिक वेबसाइट (Official Website) | www.nato.int |
सदस्य देशों की संख्या (Number Of Member Countries) | 30 |
मूल उद्देश्य (Original Purpose) | सामूहिक रक्षा, संकट-प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा। |
देशों का नाम (countries names) | शामिल होने का वर्ष (year of joining) |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 1949 |
यूनाइटेड किंगडम | 1949 |
तुर्की | 1952 |
स्पेन | 1982 |
स्लोवेनिया | 2004 |
स्लोवाकिया | 2004 |
रोमानिया | 2004 |
पुर्तगाल | 1949 |
पोलैंड | 1999 |
नॉर्वे | 1949 |
उत्तर मैसेडोनिया | 2022 |
नीदरलैंड्स | 1949 |
मोंटेनेग्रो | 2017 |
लक्ज़मबर्ग | 1949 |
लिथुआनिया | 2004 |
लातविया | 2004 |
इटली | 1949 |
आइसलैंड | 1949 |
हंगरी | 1999 |
ग्रीस | 1952 |
जर्मनी | 1955 |
फ्रांस | 1949 |
एस्टोनिया | 2004 |
डेनमार्क | 1949 |
चेक गणराज्य | 1999 |
क्रोएशिया | 2009 |
कनाडा | 1949 |
बुल्गारिया | 2004 |
बेल्जियम | 1949 |
अल्बानिया | 2009 |
नाटो प्रतिनिधिमंडल
ब्रुसेल्स बेल्जियम में नाटो का मुख्यालय है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का एक प्रतिनिधि होता है जो उस देश का राजदूत होता है।
महासचिव
- महासचिव नाटो गठबंधन का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक है।
- महासचिव नाटो के मुख्य प्रवक्ता भी हैं और संगठन के अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारियों के प्रमुख हैं
नाटो एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन
हमारे जीवन में व्यक्ति की सुरक्षा उसकी सबसे बड़ी पूंजी है और इसके कल्याण में सहायक है। इसी कारण नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देना है।
- राजनीतिक :- नाटो (NATO) लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। और सदस्यों का विश्वास के साथ संघर्ष को रोकने के लिए लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करता है।
- सैन्य :- नाटो सबसे पहले तो किसी भी झगड़े का शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन समस्या का हल ना निकले तो उसके पास सैन्य शक्ति भी होती है।
NATO की संरचना
नाटो (NATO) का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है जो चार अंगो(परिषद, उप परिषद, प्रतिरक्षा समिति, सैनिक समिति से मिलकर बना है।
परिषद
- यह नाटो का सबसे मुख्य और सर्वोच्च अंग है।
- इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।
- इसका मुख्य उद्देश्य नाटो समझौते की मुख्य धाराओं को लागू करना है।
उप परिषद्
- यह नाटो देशों की कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद है।
- यह सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं।
प्रतिरक्षा समिति
- इसमें नाटो देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा विषयों पर विचार विमर्श करना है।
सैनिक समिति
- यह सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष से मिलकर बनी होती है।
- इसका प्रमुख कार्य परिषद और प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है।
नाटो का इतिहास | History In Hindi
जब भी नाटो का जिक्र आता है तो उसमे द्वितीय विश्व युद्ध की बात आती है क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध में रूस और उसके साथियों की विजय तो हुई लेकिन पूर्वी यूरोपीय देशों को सोवियत संघ के आक्रमण का खतरा मंडराने लगा जिसके कारण नाटो की स्थापना की गई।
रूस-यूक्रेन युद्ध और नाटो
- यूक्रेन ने जैसे ही नाटो संगठन ज्वाइन करने का प्रयास किया वैसे ही रूस ने उसपर आक्रमण कर दिया जिसे सैनिक कार्यवाही का नाम दिया गया।
- रूस का मानना है की नाटो उसके पास ही आता जा रहा है जिसके कारण उसने उससे बात करने की कोशिश अवश्य की होगी।
क्या आपको पता है?| Amazing Facts
- नाटो(NATO) में शामिल हुए किसी भी देश ने आजतक इसे नही छोड़ा है।
- नाटो के गठन के समय इसमें सिर्फ 12 संस्थापक देश थे वर्तमान में इसमें 30 सदस्य देश थे।
- NATO की सदस्यता :- इस संधि के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने की स्थिति में कोई भी अन्य यूरोपीय देश नाटो में शामिल हो सकता है।
आधिकारिक तौर पर एक भी देश ने नाटो संगठन को नही छोड़ा है लेकिन फ्रांस एक बार नाटो छोड़कर दुबारा उसमे शामिल हुआ है।
नही, हम वर्तमान में नाटो में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उसके लिए यूरोपीय देश होना एक अनिवार्य शर्त है।
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