नरेंद्र मोदी

Pm modi ने cop26 में क्या कहा क्यों मांगनी पड़ी भारत को मदद

COP26 के शिखर सम्मेलन में 1 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो में थे, और उन्होंने संबोधन में अपने भाषण की शुरुआत ऋग्वेद के एक मंत्र से की।

ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया गर्म होती जा रही है जिसका अर्थ है ग्लोबल वार्मिंग पर बात की आज हम इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि मोदी ने विकसित देशों से मदद क्यों मांगी और हम नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन कब तक करेंगे और उसका अर्थ क्या है।

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बढ़ते ग्रीन हाउस गैसों पर cop की चिंता

ग्लासगो में समिट 12 नवम्बर तक चलेगा जिसमे लगभग 120 देशों के प्रतिनिधि मौजूद है। जिसमे ग्लोबल वार्मिग और धरती के बढ़ते हुए तापमान पर चर्चा की जायेगी जहां कभी साल भर बर्फ जमी रहती थी आज वहां बर्फ धीरे धीरे पिघल रही है और इसके बहुत ज्यादा नुकसान है। क्योंकि कुछ समय में वहां झुलसान वाली गर्मी बढ़ जाएगी।

वर्षावनो आग लग चुकी है जिसके कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्ति की कगार पर है। और वैज्ञानिकों का कहना है की जैसे जैसे धरती का तापमान और बढ़ेगा तबाही उतनी ही नजदीक आती जा रही है।

एक और अनुमान वैज्ञानिक लगा रहे हैं जिससे ग्रीनहाउस गैसेस का प्रयोग पृथ्वी पर जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है उसके अनुसार अगले दशकों में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री तक पड़ सकता है जैसे अगर ऐसा हुआ तो तबाही आने में देर नहीं।

जलवायु परिवर्तन का ग्राफ ऊपर जाते ही जा रहा है ऐसा न होने के लिए हर साल कोप के सम्मेलन किए जाते है। ताकि दुनिया के सामने ये स्थिति न आए। जलवायु परिवर्तन का नियंत्रण सभी देशों के हाथ से छूटने हो वाला है।

COP 2015 पेरिस सम्मेलन लक्ष्य

2015 के पेरिस सम्मनेलन में सभी देशों ने साझा लक्ष्य रखा की धरती के तापमान को अब यहां से 1.50 डिग्री से ज्यादा नही बढ़ने देना है। तभी पृथ्वी को बचाया जा सकता है। और इस बार की बैठक धरती को बचाने का आखरी मौका ही समझो।

COP26 और भारत

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है, पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर चीन कार्बन का उत्सर्जन करते है।

1 नवम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का प्लान cop के सामने पेश किया और कहा ये पंचामृत का प्लान है। इसमें ऐसे पांच उपाय है जिसमे भारत ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए अपना योगदान देगा।

भारत का COP26 के सामने पंचामृत प्रस्ताव

  • भारत 2030 तक अपने गैर जीवाश्म ईंधन झमता को 500 गीगाबाट तक पहुंचाएगा।
  • भारत 2030 तक अपनी जरूरत की 50% ऊर्जा की पूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा से करेगा।
  • भारत 2030 तक कुल प्रोजेक्टेड कार्बन उत्सर्जन में एक सौ करोड़ टन की कमी करेगा।
  • 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।
  • 2070 तक भारत नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा।

net zero कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य

नेट जीरो का अर्थ ये नही है की भारत कार्बन उत्सर्जन भी करेगा बल्कि ये है की भारत जितना उत्सर्जन करेगा उसको वायुमंडल में पहुंचने से पहले ही खत्म कर देगा।

चीन और अमेरिका का नेट जीरो लक्ष्य

चीन और अमेरिका ने भी अपना नेट जीरो का वर्ष घोषित कर रखा है चीन ने ये लक्ष्य 2060 और अमेरिका ने 2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा है।

भारत ने मांगी cop 26 में विकसित देशों से मदद

भारत ने जलवायु परिवर्तन के लिए विकशित देशों से 1 ट्रिलियन डॉलर को मदद भी मांगी है।

Ram Singh Rajpoot

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