रामानुजाचार्य | जीवन परिचय, मूर्ति, जयंती, विशिष्टाद्वैत, पुस्तकें, इतिहास (Ramanujacharya Statue & Biography In Hindi)

Ramanuja Biography, Statue Haidrabad, Religion, Teachings, Philosophy, History In Hindi: आपको आचार्य रामानुज के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी।

परिचय

रामानुज (Ramanuja) एक दक्षिण भारतीय वैष्णव संत थे जिन्हे विशिष्टाद्वैत वेदान्त प्रवर्तक माना जाता है। आचार्य रामानुज को हिंदू धर्म शास्त्री और समाज सुधारक माना जाता है।

दक्षिण भारतीय संत रामानुजाचार्य का जीवन परिचय जन्म :- 1017, श्रीपेरंबदुर मृत्यु:- 1137, श्रीरंगम प्रमुख शिष्य : कबीर, रैदास और सूरदास नया दर्शन: - विशिष्ट अद्वैत वेदान्त लिखा गुरु :-श्री यामुनाचार्य
दक्षिण भारतीय संत रामानुज (Ramanuja) जीवनी

चर्चा में क्यों

  • हैदराबाद के मुचिन्तल में रामानुज की 65.8 वर्ग मीटर लंबी मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को करने जा रहे है जिसका नाम समानता की मूर्ति (statue of equality) रखा है।
समानता की मूर्ति (Statue of Equality), हैदराबाद जगह :- मुचिन्तल, हैदराबाद, तेलंगाना भारत ऊंचाई :- 65.8 वर्ग मीटर कार्य प्रारंभ :- 2 मई 2014 उद्घाटन :- 5 फरवरी 2022
हैदराबाद में लगने वाली रामानुजाचार्य की प्रतिमा की जानकारी

मुख्य बिंदु

  • इन्ही की संत परंपरा ने कबीर, रैदास, सूरदास और रामानंद आदि हुए।
  • इन्होंने श्रीरंगम् के यतिराज नामक संन्यासी से भारतीय परंपरा से सन्यास की शिक्षा ली।
  • रामानुजाचार्य के प्रमुख ग्रंथो में श्रीभाष्यम् एवं वेदान्त संग्रहम् अग्रणी है।

रामानुज जीवनी | Ramanuja Biography In Hindi

रामानुज का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने वेदों की शिक्षा अपने गुरु यादव प्रकाश से ली। रामानुजाचार्य के गुरु श्री यामुनाचार्य भी प्रमुख आलवार सन्त थे। रामानुजाचार्य ने पूरे भारत की यात्रा करके वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया और 120 वर्ष की आयु में इनका ब्रह्मलीन हो गया।

नाम (Name)रामानुज (Ramanuja)
जन्म का स्थान और समय (Date Of Birth & Place) 1017 ई., श्रीपेरुमबुदुर, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु का स्थान और समय (Date Of Death & Place) ब्रह्मलीन1137 ई., श्रीरंगम, तमिलनाडु, भारत
माता पिता का नाम माता कांतिमति और पिता असुरी केशव सोमयाजी
धर्म (Religion)हिंदू
गुरु (Teacher)श्री यामुनाचार्य
सम्मान श्रीवैष्णवतत्त्वशास्त्र के आचार्य
गुरु का संकल्पब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबन्धम् की टीका लिखना।

रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत दर्शन

आचार्य रामानुज ने अपने दर्शन ने परमात्मा के संबंध ने तीन स्तर माने जो निम्नलिखित है।

ब्रह्मईश्वर
चित्आत्म
अचित्प्रकृति
रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत दर्शन
  • इसके अनुसार चित् अर्थात आत्म तत्व और अचित् तत्व भी ब्रह्म तत्व से अलग नहीं है। बल्कि ये दोनो ब्रह्म के ही स्वरूप है इसे ही रामनुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत कहा जाता है।
  • जिस तरह से शरीर और आत्मा दोनो अलग अलग नहीं है शरीर आत्मा के उद्देश्य की पूरी के लिए कार्य करता है। उसी प्रकार ईश्वर से अलग होकर चित और अचित का कोई अस्तित्व नहीं है। यह ईश्वर का शरीर है और ईश्वर ही इसकी आत्म है।

रामानुज के अनुसार भक्ति कैसे करें?

  • पूजा पाठ और कीर्तन ना करके ईश्वर की प्रार्थना करना ही भक्ति है।
  • भक्ति से किसी जाति और वर्ग को वंचित नहीं किया जा सकता।
  • जीव जो है वो ब्रह्म में पूर्ण विलय नही होता बल्कि भक्ति के माध्यम से उसके निकट जाता है इसे ही आचार्य रामानुज मोक्ष मानते है।

कुछ रोचक तथ्य

  • रामानुजाचार्य जी ने अपने सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे थे।
  • कई लोगो ने इन्हे भगवान राम के भाई लक्ष्मण का अवतार माना है।
शेषनाग के अवतार माने जाते है रामानुजाचार्य महाराज
  • रामानुजाचार्य ने भक्ति को दार्शनिक रूप प्रदान किया।
यह भी पढ़े

Leave a Comment