क्या है चाणक्य का सप्तांग सिद्धान्त: मोदीजी ने अपनाया विदेशों ने लोहा माना

इस लेख में आज हम अर्थशास्त्र के लेखक और मौर्य साम्राज्य को बुलंदियों तक ले जाने वाले आचार्य चाणक्य के सप्तांग सिद्धान्त की और वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता के बारे में और वर्तमान भारतीय मोदी सरकार इसका कैसे उपयोग कर रही है।

जिस राजा के मित्र लालची निकम्मे और कायर होते हैं उसका विनाश निश्चित है।

चाणक्य

कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत क्या है?

  • आचार्य चाणक्य ने राज्य के 7 अंग माने है जिनके अलग अलग उद्देश्य और कार्य होते है।
  • कौटिल्य यानी आचार्य चाणक्य या विष्णुगुप्त ने राज्य के 7 प्रमुख अंग माने है। जिनमे स्वामी (राजा), अमात्य (मंत्री), जनपद, दुर्ग (किला), कोष (धन), दंड (सेना) और मित्र।

सप्तांग सिद्धान्त के सभी अंगों के अलग अलग कार्यों का वर्णन

राजा (स्वामी)

  • राजा अर्थात स्वामी सप्तांग सिद्धांत का सबसे पहला और महत्वपूर्ण अंग है राजा में आचार्य चाणक्य अनेक गुणों को महत्वपूर्ण मानते है।

राजा के महत्वपूर्ण गुण

राजा क्षत्रिय कुल में जन्मा हो और धर्म को मानने वाला हो और आत्मसंयमी भी राजा को को होना चाहिए। राजा बौद्धिक क्षमता के साथ शारीरिक क्षमता से युद्ध जीताने वाला हो राजा एक कल्याणकारी और अपनी जनता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।

दूसरो की बातो में आसानी से ना आने वाला और दुसरो को हसीं ना उड़ाने वाला राजा श्रेष्ठ होता है। संधि और विग्रह करने में कुशल और शत्रु के साथ कुशलता से निपटने वाला राजा ही राज्य के लिए अच्छा है।

  • राजा एक मजबूत व्यक्ति होना चाहिए जो सभी तरह के निर्णय लेने में सक्षम हूं और आंतरिक और बाहरी दबाव में ना आए यदि राजा ही मजबूत नहीं होगा तो बाकी अंग भी कमजोर पड़ सकते हैं। राजा मजबूत तो बाकी अंगों को भी मजबूत बना सकता है।
  • चाणक्य राजा का धर्म मानते है की बाकी के अंगो को ध्यान और उनसे सही काम करवाने की जिम्मेदारी आपकी है।
  • चाणक्य राज्य की शक्ति को बढ़ाने की पक्षधर हैं और उन्होंने इसके लिए सलाह दी है कि आप मजबूत दोस्त रखिए।
  • राजा को किसी भी प्रकार के नीति निर्माण के समय विद्वानों (Experts) को अपने साथ रखना चाहिए।
  • जनता को मजबूत करना राजा का धर्म है उनकी हेल्थ और शारीरिक मजबूती के साथ उनके मानसिक विकास पर भी राजा को जोर देना चाहिए।
  • आने वाले किसी भी प्रकार के खतरे के लिए राजा को तैयार रहना चाहिए।

अमात्य (मंत्री)

  • राजा अकेले कार्य करेगा तो वो निरंकुश बन जाएगा इसके कारण राजा को सलाह देने के लिए मंत्री होने चाहिए।
  • राज्य के कार्य बहुत अधिक होते है अकेले राजा के द्वारा उनका किया जाना संभव नहीं उसके लिए कुशल मंत्रिमंडल की आवश्यकता होती है।
  • अमात्य की तुलना चाणक्य ने आंख से की है जो स्वामिभक्त भी होना चाहिए।

मित्र

  • आपको साथियों की भी जरूरत होगी इससे आपकी शक्ति निर्धारित की जा सकती है क्योंकि अगर मुसीबत के समय आपका ताकतवर दोस्त आपके साथ खड़ा है तो आपकी शक्ति बढ़ जाएगी।

कोष (धन)

  • राज्य को आगे बढ़ने में धन की सख्त जरूरत होती है जिसके बिना राज्य का कुछ दिन भी चल पाना मुश्किल है।
  • राजा का कर्तव्य है की वह कोष में निरंतर वृद्धि करता रहे।
  • कोष को बढ़ाने के लिए राजा को कृषकों से उपज का छठा भाग और व्यापारियों से लाभ का दसवां भाग, पशु व्यापार से अर्जित लाभ का पचासवां भाग या फिर राजा जनता आसानी से दे सके उतना कर लेना चाहिए।

दुर्ग (किला)

  • बाहरी आक्रमण से बचने के लिए दुर्ग एक महत्वपूर्ण अंग है उसमे भंडारण की क्षमता भी होनी चाहिए ताकि आपत्ति के समय जनता को बचाया जा सके। और सेना के लड़ने के लिए गोला बारूद के साथ सैनिकों के लिए सभी समान होना चाहिए।
  • चाणक्य ने दुर्गों के अनेक प्रकार बताए है उनमें से ही धान्वन दुर्ग का उदाहरण सोनार का किला है।
  • दुर्ग अर्थात किले की तुलना चाणक्य ने बाहों से की है जैसे भुजाएं शरीर की रक्षा करती है वैसे ही सेना राज्य की रक्षा करेगी।

दंड (सेना)

  • राज्य को चलाने के लिए और उसकी सुरक्षा आंतरिक और बाहरी दबावों से करने के लिए सेना को जरूरत होती है।

जनपद

  • जनपद के बिना कुछ भी संभव नही जिसमे जनता रहती हो और वो राजा के लिए कर देती हो। जनपद में भूमि, तालाब, वन और खानों में संपूर्ण खनिज होने चाहिए जो जनता की भलाई के लिए आवश्यक है।
  • जनपद की तुलना चाणक्य ने पैर से की है जिसमे भूमि और जनसंख्या को समाहित किया गया है।

सप्तांग सिद्धान्त की आलोचना

  • सप्तांग नाम से राज्य को एक शरीर के अंग की तरह माना गया है जबकि इसके आलोचकों का मानना है की राज्य की तुलना शरीर के अंगो से करना उचित नहीं।
  • सम्प्रभुता, सरकार, जनसंख्या भी विदेशी दर्शनिको के अनुसार राज्य के महत्वपूर्ण अंग है लेकिन चाणक्य ने उनका कही अकेले जिक्र नही किया है।
  • चाणक्य का ये सिद्धांत राजा को निरंकुश बना देता है जो सबसे ऊपर होता है और अपनी मर्जी से कार्य कर सकता है।

सप्तांग सिद्धान्त की प्रासंगिकता

  • जब 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए युद्ध हुआ तो उसमें अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था लेकिन वह भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाया क्योंकि उस समय का सोवियत संघ भारत के साथ खड़ा था। इसका अर्थ है की चाणक्य द्वारा बताया गया मजबूत दोस्त रखना राज्य के सभी अंगों और राज्य का कार्य है। लेकिन जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तब हमने भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ देखा क्योंकि मजबूत दोस्त रखना राज्य का कर्तव्य है।
  • राज्य के सप्तांग सिद्धांत में राजा महत्वपूर्ण अंग है जिसे वर्तमान में राष्ट्रीय लीडर कहा जाता है जो देश का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री हो सकता है।
  • अमात्य जिसको मंत्री कहा जाता है आज भी सभी।राज्यो और देशों में मंत्री होते है।
  • जनपद जिसे वर्तमान में देश कहते है उसमे जनता और जमीन के साथ संप्रभुता भी जरूरी है।
  • दुर्ग वर्तमान में इसे हम इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़कर देख सकते है बॉर्डर को सुरक्षित करने के लिए हमने कहा रोड बनाई है कहा बंकर बनाए है और क्या मिसाइल बनाई है सभी दुर्ग में आ जायेगा।
  • कोष जो आज फाइनेंस या भारतीय रिजर्व बैंक और हमारी मुद्रा की मजबूती होनी चाहिए।
  • दंड यानी सुरक्षा बाहरी और आंतरिक मामलों से सुरक्षा के लिए आज भी हम सेना की व्यवस्था रखते है।
  • मित्र यानी विदेशी संबंध आज भी भारत के विदेशी संबंध चाणक्य की नीतियों के अनुसार ही लगते है और वर्तमान मोदी सरकार तो इनको शायद फॉलो भी करती है।
राज्य का सप्तांग सिद्धान्त किसने दिया?

राज्य का सप्तांग सिद्धांत आचार्य चाणक्य जिन्हे कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने दिया।

सप्तांग सिद्धान्त की वर्तमान प्रासंगिकता के बारे में समझाइए?

चाणक्य के सप्तांग सिद्धांत के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी JodhpurNationalUniversity.com वेबसाइट से मिल जायेगी।

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