आज हम इस पोस्ट में जानेंगे संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर क्या है और किन देशों को इसका इस्तेमाल करने का अधिकार है।
Veto Power In Hindi: वीटो पावर का हिंदी में अर्थ होता है मना करने का अधिकार यानी निषेध अधिकार। सयुक्त राष्ट्र (UN) की सुरक्षा परिषद में अब तक 5 देशों के पास वीटो पावर है। लेकिन भारत के पास वीटो पावर नही है भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है।
जिन देशों के पास वीटो पावर (veto power) है वे संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकते है उनके एक से मना करने से प्रस्ताव या बातचीत रद्द मानी जायेगी। चाहे किसी भी प्रस्ताव पर कितने ही पक्ष में वोट जाए लेकिन यदि वीटो पावर वाले देश ने वीटो कर दीय तो वह प्रस्ताव रद्द माना जाएगा।
कितने देशों के पास वीटो पावर है? लिस्ट
- चीन
- फ्रांस
- रूस
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
इन पांच देशों के पास यूएन में स्थाई सदस्यता है। यह सभी वह देश है जो द्वितीय विश्व युद्ध में विजेता बने थे।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 10 अस्थाई सदस्य देश भी हैं जिनका नाम भारत, ब्राजील, यूएई, नॉर्वे, मेक्सिको, आयरलैंड, घाना, केन्या, गैबॉन और अल्बानिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप दोनो की ही भारत को वीटो पावर देने की रणनीति थी लेकिन जो बाइडेन सरकार भारत की Veto Power देने के पक्ष में नही है।
खबरें
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 स्थाई सदस्य और 10 अस्थाई सदस्य होते हैं और यदि कोई भी निर्णय लेना है तो इन 15 सदस्यों में से 9 की सहमति जरूरी है। लेकिन यदि कोई स्थाई सदस्य चाहे तो 9 की सहमति होने के बाद भी इस निर्णय को बदल सकता है यही आसन भाषा में वीटो पावर कहलाता है।
G-4 के देश जो United Nations Security Council के स्थाई सदस्य बनना चाहते हैं?
ऐसे 4 देश है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बनना चाहते हैं उनमें जापान, जर्मनी, भारत और ब्राजील हैं।
वीटो पावर का इस्तेमाल
- रूस यूक्रेन युद्ध में हाल ही में अमेरिका द्वारा लाया गया निंदा प्रस्ताव पर भारत और चीन ने वोट नही दिया लेकिन बाकी सबके पक्ष में वोट देने के बाद भी रूस ने वीटो कर दिया जिसकी वजह से प्रस्ताव रद्द हो गया।
- रूस ने गोवा की आजादी और 1971 के युद्ध और भी कई टाइम भारत के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया है।
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