Battle Of Buxar In Hindi: आप सभी ने ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम तो सुना ही होगा यह वह कंपनी है जो भारत में व्यापार के मकसद से आई लेकिन जैसे-जैसे भारत में मुगलों और मराठों की शक्ति कमजोर पड़ती गई यह कंपनी अपना राज जमाने लग गई।
इसी कड़ी में 1764 का बक्सर का युद्ध हुआ जिसने अंग्रेज़ो को बिहार और बंगाल का आधिपत्य दे दिया। इस युद्ध में 3 सेनाओं ने मिलकर अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी जिनमें एक थी मीर कासिम की सेना जो उस वक्त तक बंगाल के नवाब थे दूसरी थी अवध के नवाब शुजाउद्दौला की सेना और तीसरी सेना थी शाह आलम द्वितीय की जो उस समय मुगल शासक थे।
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युद्ध का नाम | बक्सर की लड़ाई (बिहार में) |
तारीख जिसको बक्सर की लड़ाई लड़ी गई | 22 – 23 अक्टूबर 1764 |
परिणाम | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत |
हार किसकी हुई | शुजा-उद-दौला, शाह आलम और मीर कासिम की संयुक्त सेना की |
सैनिक बल | 7000 सैनिक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के | 40000 बंगाल के नवाब (मीर कासिम), अवध का नवाब ( शुजा-उद-दौला), मुगल शासक (शाह आलम) |
लड़ाई के समय अंग्रेजी गवर्नर जनरल | लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव |
अब आप लोगो के मन में सवाल आ रहा होगा की आखिर ये जंग क्यों हुई? तो इसका जवाब है मीर कासिम उस समय बंगाल की गद्दी पर बैठा था और वह मीर जफर का दामाद था। जब ज़फ़र ने देखा की वे अंग्रेजों की मांगे पूरी नहीं कर पा रहें है तो उन्होंने गद्दी से हटकर अपने दामाद कासिम को नवाब बना दिया।
मीर जफर नहीं चाहता था कि अंग्रेज बंगाल के कार्य में ज्यादा दखलअंदाजी करें उसने अपने हिसाब से नीतियां बनाई लेकिन बंगाल का नवाब बनने में अंग्रेजों ने उसकी बहुत मदद की थी।
इस वजह से अंग्रेज चाहते थे की मीर उनके हाथ की कठपुतली बनकर रहें लेकिन मीर कासिम को ये चीज मंजूर नही थी और उसने अपनी सेना की ट्रेनिंग देने के लिए विदेशी ट्रेनर भी बुलवाए।
जो व्यापारी फरमान और दस्तक यानी जो व्यापार करने के लिए पास दिए जाते थे उन का गलत उपयोग कर रहे थे उनपर मीर कासिम ने रोक लगाई।
बक्सर की लड़ाई से पहले मीर कासिम की सेनाओं की तीन बार ईस्ट इंडिया कंपनी से भिड़ंत हुई लेकिन तीनों बार हर जाने के कारण उसे इलाहबाद में शरण लेनी पड़ी।
इलाहबाद में ही मीर कासिम की मुलाकात शुजाउद्दौला से हुई और उसने शाह आलम के साथ मिलकर अंग्रेजो से लड़ाई लड़ने की सोची उन्होंने सोचा एक से भले तीन लेकिन अब आगे देखते है होता है क्या।
इन तीनों की सेनाओं के खिलाफ जो अंग्रजी सेना उतरी उसमे करीब 7000 सैनिक थे और इन तीनों शासकों की सेना तकरीबन 40000 की थी लेकिन इनमें तारतन्य नही था ये एक वजह हार की गिनाई जाती है।
बक्सर के युद्ध के बाद शुजाउद्दौला और शाह आलम ने समर्पण कर दिया और मीर कासिम मैदान छोड़कर भाग गया। इसके बाद 1765 में शुजाउद्दौला और शाह आलम ने इलाहबाद की संधि पर हस्ताक्षर किए।
इसके बाद कंपनी को बिहार, बंगाल और ओडिशा की दीवानी दे दी गई जहां से कंपनी अब टैक्स इकट्ठा कर सकती थी। शाह आलम को कंपनी ने 26 लाख रुपए सालाना देने का वादा किया लेकिन बाद में ये व्यवस्था भी बंद कर दी गई। और मीर जाफर को वापस से बंगाल का नवाब बना दिया गया।
आप सभी दिगराज सिंह राजपूत जी का नीचे दिया गया लेक्चर जरूर सुने उसके बाद आपके मन मे इस युद्ध को लेकर कोई सवाल नही रहेगा।
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