समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) क्या है? इसके फायदे और नुकसान के साथ उसके गुण और दोष इसे लागू करने के बाद क्या क्या होगा और इससे पहले कैसी व्यवस्था थी। समान नागरिक संहिता कहा कहा लागू है और भारत में इसका विरोध लोग क्या तर्क देकर करते है सभी के बारे में हम आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे है।
कॉमन सिविल कोड क्या है?
- समान नागरिक संहिता का अर्थ एक ऐसे कानून से है जो धर्मनिरपेक्ष हो, जो किसी भी जाति या धर्म से ऊपर उठकर एक देश का सभी नागरिकों के लिए समान हो। इसको सभी जाति मज़हब के लिए समान होने के कारण उसे धर्म निरपेक्ष कानून भी कहा जाता है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य की मानता है।
- इसके आने के बाद सभी धर्मों के पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे और सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाए जा सकेंगे और साथ में सभी के लिए अलग अलग अदालतों की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
“मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में दी जानी चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से विधायिका को रोक सके। सब के बाद, हम क्या कर रहे हैं के लिए इस स्वतंत्रता? हमारे सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता हो रही है, जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करते हैं।”
— भीमराव अम्बेडकर
क्या तर्क देकर करते है कॉमन सिविल कोड का विरोध
- भारत में कॉमन सिविल कोड का विरोध सबसे ज्यादा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करता है उनका तर्क है की इसको लागू करने का अर्थ है की सभी धर्मों पर हिंदू कानून लागू करना।
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Common Civil Code लागू होने के बाद क्या बदलाव आएगा? फायदे और नुकसान
- शरीयत के अनुसार मुस्लिम कुछ भी नही कर पाएंगे जैसे मुस्लिमों का 3- 4 शादियां करना बंद हो जाएगा और तलाक लेने के लिए भी उनको कोर्ट के जरिए जाना होगा।
- वे शरीयत के अनुसार अपने परिवार को जायदाद का बटवारा नही कर सकेंगे।
- समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद शादी, तलाक, दहेज, उत्तराधिकार के मामलों में हिंदू, मुसलमान और ईसाइयों पर एक समान कानून ही लागू होगा।
- न्यायपालिका पर दबाव कम होगा और धर्म के कारण वर्षों से पड़े केस जल्दी से सुलझा लिए जायेंगे। और कोई भी आसानी से धर्म के आधार पर राजनीति नहीं कर पाएगा।
- समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा मुस्लिम में तीन शादियां करने का रिवाज टूटेगा और तीन बार तलाक कहने से शादी खत्म नहीं होगी।
कॉमन सिविल कोड लागू होने से पहले कैसे होता है?
- हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को सनातन धर्म से जुड़ा माना जाता है जिसके कारण इसके लिए एक समान कानून है जिसमे इनका एक से ज्यादा शादी करना गैर कानूनी माना गया है।
- मुसलमानों के लिए कानून उनकी धार्मिक किताब शरीयत पर आधारित है जिसके अनुसार उनका 3 शादियां करना जायज है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) कहां लागू है?
- भारत में गोवा राज्य में 1961 में ही समान नागरिक संहिता लागू कर दी। जो पुर्तगाल शासन के समय लागू थी।
- भारत के कट्टर दुश्मन और पड़ोसी पाकिस्तान के साथ अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की , इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट आदि धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां भी समान नागरिक संहिता कानून लागू है।
- वर्तमान में उत्तराखंड की बीजेपी सरकार पुष्कर सिंह धामी जी मुख्यमंत्री ने एक कमेटी का गठन किया है जो समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए ड्राफ्ट तैयार करेगी।
- वर्तमान में उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता को लाने के तेजी से विचार चल रहा है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए कहा है।
भारतीय संविधान अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता लागू करना राज्य का कर्तव्य मानता है। लेकिन शादी, तलाक, विरासत और संपत्ति पर अधिकार आदि सामाजिक मुद्दे समवर्ती सूची में आते है इसलिए केंद्र और राज्य दोनो सरकारें इसपर कानून बना सकती है। विशेषज्ञों का मानना है की केंद्र सरकार कानून लाकर जल्द से जल्द इसको लागू कर दे।
42 वें संविधान संशोधन 1976 मैं भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया जिसके अनुसार भारत की सरकार किसी भी धर्म का समर्थन नहीं करेगी लेकिन सभी धर्मों का लॉ बोर्ड होने से तो जिनका कोई धर्म नही है उनका क्या होगा और इससे तो सरकार से ऊपर धर्म नजर आता है जिसके कारण समान नागरिक संहिता का अबतक लागू नहीं होना एक दोष के समान है।
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