पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyay)
भारतीय राष्ट्रवादी हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है। – पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyay) भारतीय राजनीतिक चिंतक और राजनेता थे। उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) संगठनकर्ता भी रहे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदुत्व विचारधारा के समर्थक थे जिन्होंने भारतीय सनातन परंपरा को नवीनतम युग के अनुसार करने के लिए एकात्म मानववाद की विचारधारा प्रकट की
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान (उस समय ब्रिटिश भारत) गांव में हुआ। इस जगह को अब दीनदयाल धाम कहा जाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पिताजी (Father) का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था जो एक ज्योतिषी थे और उनकी माता (Mother) रामप्यारी उपाध्याय धार्मिक प्रवृत्ति की एक गृहणी थी।
पूरा नाम (Full Name) | पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyay) |
जन्म तिथि और स्थान (Date Of Birth & Place) | 25 सितम्बर 1916, नंगला चंद्रभान, मथुरा, यू.पी. |
मृत्यु की तिथि और स्थान (Date Of Death & Place) | 11 फ़रवरी 1968, मुग़लसराय, यू.पी. |
माता पिता का नाम (Parents Name) | भगवती प्रसाद उपाध्याय (पिताजी), रामप्यारी उपाध्याय (माता) |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | अविवाहित (Unmarried) |
जाति और धर्म (Caste And Religion) | ब्रह्मण, हिंदू |
भाई का नाम (brother’s Name) | शिवदयाल उपाध्याय |
राजनीतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय जन संघ |
विचारधारा (Thinking) | एकात्म मानववाद (हिंदुत्व के भी समर्थक) |
अन्य नाम | दीना (Deena) |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जब छोटे थे तो उनके माता पिता का निधन हो गया और उनकी शिक्षा उनकी चाची और मामा के अभिभावन में हुई। राजस्थान से मैट्रिक पास करने के बाद पिलानी में बिडूला कॉलेज में इंटरमीडिएट किया और साल 1939 में सनातन धर्म कॉलेज कानपुर से बी.ए. पास की। अंग्रेजी में उन्होंने सेंट जॉन कॉलेज, आगरा में मास्टर्स के लिए आवेदन किया लेकिन पढ़ाई पूरी नही कर सके।
आम आदमी की आय बढ़ेगी तभी सब को काम मिलेगा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
राजनीति जनता द्वारा नियंत्रित की जानी चाहिए ना कि कुछ धनी व्यक्तियों द्वारा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय आर. एस. एस. के संगठन करते थे और उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा पर भी जोर दिया। दीनदयाल उपाध्याय जी 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और 1942 से उन्होंने इसके लिए काम करना शुरू किया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जन संघ के संस्थापक थे जो बाद में जाकर भारतीय जनता पार्टी नाम से बना। दिसंबर 1967 में उपाध्याय को भारतीय जन संघ का अध्यक्ष बनाया गया था।
एकात्म मानववाद की विचारधारा का मूल सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जो समाजवाद और व्यक्तिवाद से अलग सोचने की आजादी देता हैं।
एकात्म मानववाद एक वर्गहीन, जातिविहीन तथा संघर्ष मुक्त सामाजिक व्यवस्था जो साम्यवाद से अलग है उसके रूप में परिभाषित किया। वो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तरीके से भारतीय संस्कृति का एकीकरण होना चाहिए।
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में घुटन सी महसूस करता है क्योंकि पश्चिमी विचारधाराओं के कारण (लोकतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद और व्यक्तिवाद) मौलिक भारतीय विचारधारा में कमी और उसके विकास में बाधा आ रही है।
“भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्व की भावना रखने वाला मानव समूह एक जन हैं। उनकी जीवन प्रणाली, कला, साहित्य, दर्शन सब भारतीय संस्कृति है। इसलिए भारतीय राष्ट्रवाद का आधार यह संस्कृति है। इस संस्कृति में निष्ठा रहे तभी भारत एकात्म रहेगा।”
— Pandit Deendayal Upadhyay, Indian Politician
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