दामोदर घाटी परियोजना स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह योजना बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों की संयुक्त योजना है और इसका प्रबंधन दामोदर नदी घाटी निगम द्वारा किया जाता है। इसके वित्त की व्यवस्था भारत सरकार, बिहार सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मिलकर की जाती है।
- दामोदर नदी छोटा नागपुर के पठार से 900 मीटर की ऊंचाई से निकलकर बिहार में 288 कि.मी. तक बहती है और पश्चिम बंगाल में 250 किलोमीटर दूरी के बाद हुगली नदी से जाकर मिलती है।
- दामोदर नदी की सहायक नदियों में जमुनिया, बराकर, कोनार, और बोकारो हैं।
परियोजना का नाम (Project Name) | दामोदर नदी घाटी योजना (Damodar River Valley Project) |
नियंत्रण (Control) | दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) |
उद्देश्य (Objective) | सिंचाई करना, जल विद्युत उत्पादन, पेय जल उपलब्ध करवाना, मछलीपालन |
निर्माण कार्य
दामोदर नदी घाटी परियोजना का निर्माण कार्य दो चरणों में बांटा गया है जो निम्नलिखित है।
प्रथम चरण
प्रथम चरण में निम्न लिखित कार्य पूरे किए जा चुके हैं।
तिलैया बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी बाराकुर नदी पर तिलैया नामक स्थान पर 30.18 मीटर ऊंचा और 365.8 मीटर लंबा एक तिलैया बांध बनाया गया।
- बांध पर 4000 मि. बाट जल विद्युत गृह भी बनाया गया है और इस बांध का कार्य साल 1953 में पूर्ण हो गया था।
कोनार बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी कोनार पर कोनार नामक स्थान पर 47.7 मीटर ऊंचा और 3548.5 मीटर लंबाई का कोनार बांध बनाया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई है और इसका निर्माण कार्य 1955 में पूर्ण हो गया था।
मैथान बांध
- दामोदर नदी की सहायक नदी बाराकुर पर 49.4 मीटर ऊंचा और 994 मीटर लंबा मैथान बांध बनाया गया है।
- इसका निर्माण कार्य साल 1957 में पूर्ण हो गया था।
- इसपर एक बिजलीघर बनाया गया जो जमीन के नीचे है उसमे 20 हजार किलोवाट की 3 मशीन लगाई गई है।
पंचेत पहाड़ी बांध
- यह बांध दामोदर नदी पर मैथान बांध के दक्षिण में 20 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
- इसकी ऊंचाई 44.8 मीटर और लंबाई 2545.4 मीटर है।
- इसका निर्माण कार्य साल 1959 में पूर्ण हो गया था।
- इसपर 40000 किलोवाट विद्युत क्षमता का एक विद्युत घर भी बनाया गया है।
दुर्गापुर सिंचाई बांध
- ऊपर के जो चार बांध है (तिलैया, कोनार, मैथान, पंचेत) जिनमे जो अतरिक्त पानी निकलता है उसे रोकने के लिए दामोदर नदी पर दुर्गापुर स्थान पर एक बांध बनाया गया है।
- इसकी लंबाई 692 मीटर और ऊंचाई 11.58 मीटर का एक सिंचाई के लिए बांध है।
- बांध के दाएं और बाएं दोनो ओर नहरें निकाली गई है जिनमे दाएं वाली 89 किलोमीटर लंबी और बाएं वाली 147 किलोमीटर लंबी है।
- इस बांध का निर्माण कार्य 1955 में पूर्ण हो गया था।
ताप विद्युत गृह
बोकारो | 2.25 लाख किलोवाट |
दुर्गापुर | 2.90 लाख किलोवाट |
चंद्रपुरा | 4.20 लाख किलोवाट |
द्वितीय चरण
- द्वितीय चरण अभी चल रहा है और इसके अंतर्गत अटयर, बलपहाड़ी और बोकारो में बांध बनाने और विद्युत गृह स्थापित करने का कार्यक्रम है।
- तेनुघाट नामक स्थान पर दामोदर नदी पर एक बांध का निर्माण कार्य चल रहा है।
दामोदर नदी घाटी परियोजना के लाभ
- बाढ़ पर नियंत्रण :- बहुत ज्यादा बाढ़ आने के कारण दामोदर नदी को बंगाल का शोक कहा जाता था लेकिन इस पर और उसकी सहायक नदियों पर बांध बन जाने के कारण अब बाढ़ पर नियंत्रण हो गया है।
- सिंचाई :- दामोदर नदी घाटी परियोजना के तहत अनेक बांध बनाए गए हैं जिनसे अनेक नहरें भी निकाली गई हैं और उन नहरों से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
- विद्युत उत्पादन :- इस पर अनेक बांध बनाकर जल विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं और उनसे बिहार और पश्चिम बंगाल के अनेक जिलों को बिजली उपलब्ध कराई जाती है।
- औद्योगिक विकास :- जहां सस्ती विद्युत होती है और स्वच्छ जल उपलब्ध होता है वहां औद्योगिक विकास स्वभाविक है और बिहार और पश्चिम बंगाल में खनिज संपदा का अमूल्य भंडार है।
- वृक्षारोपण और वनों का विकास :- दामोदर घाटी निगम और बिहार सरकार के सहयोग से 10 से 12। हजार हैक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया गया है जो पहले बंजर भूमि थी वो हरियाली से छा गई।
- मृदा अपरदन पर नियंत्रण :- दामोदर नदी का प्रभाव क्षेत्र 18000 वर्ग किलोमीटर है जिसके कारण इस चित्र में बहुत ज्यादा मृदा अपरदन होता था और इस पर बांध बनने से अब काफी कम मिट्टी का कटाव होता है।
- मछली पालन और घरों के लिए स्वच्छ जल – इससे जो नहर निकाली गई हैं उनसे घरों के लिए स्वच्छ जल और मछली पालन के लिए उत्तम व्यवस्था मिलती है।
रोचक तथ्य | Amazing Facts
- दामोदर नदी घाटी परियोजना अमेरिका की टेनेसी घाटी योजना को आधार मानकर बनाई गई है।
- दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहाँ कोयला, जल और गैस तीनो स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है।
FAQ
बंगाल का शोक किस नदी को कहा जाता है?
दामोदर नदी को बंगाल का शोक कहा जाता था क्योंकि पहले इस नदी में भीषण बाढ़ आती थी जिसके कारण जान माल की बहुत हानि होती थी लेकिन इसपर और इसकी सहायक नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ पर नियंत्रण पा लिया गया है।
भारत में सर्वप्रथम भूमिगत विद्युत गृह की स्थापना कब हुई?
दामोदर घाटी निगम ने मैथन में सर्व प्रथम भूमिगत विद्युत गृह की स्थापना की।
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