खाटू श्याम मंदिर को मंदिर के विस्तार कार्य के लिए लगभग दो महीने पहले कपाट बंद किए गए थे अब मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोलने से पहले डीएम इसका जायजा लेंगे लेकिन इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा पुराना है उसके बारे में भी हम विस्तार से जानेंगे और मंदिर अब दुबारा कब खुलेगा और खाटू श्याम दर्शन ऑनलाइन बुकिंग 2023 लिंक की इसकी जानकारी भी नीचे दी गई है।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले में स्थित है यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है जिसे देखते हुए इसका विस्तार कार्य 13 नवंबर 2022 को मंदिर के कपाट बंद कर शुरू किया गया था जो अब पूरा हो चुका है।
सीकर जिले के जिलाधिकारी अमित यादव ने मंदिर विस्तार का जायजा लिया और 15 जनवरी तक काम पूरा करने के आदेश दिए और पूरा होने के बाद प्रशासन के आदेश आने पर ही मंदिर के कपाट खोले जायेंगे।
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खाटू श्याम मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए आपको पहले से ही ऑनलाइन बुकिंग करवानी होती है वरना आपको दर्शन नही करवाएं जायेंगे। अभी तक एक साथ 90 तीर्थयात्रियों को दर्शन की अनुमति है और वो भी सिर्फ 20 सेकंड के लिए। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आधिकारिक वेबसाइट (Official Website) shrishyamdarshan.in लॉन्च की गई है।
जब भीम जंगल में गए थे तब उनका विवाह अहिलावती से हुआ उनका पुत्र था उनका नाम घटोत्कच था उसका सबसे बड़ा बेटा था बर्बरीक जिसके धड़ की पूजा हरियाणा के हिसार में होती है और सिर की राजस्थान के सीकर में।
बर्बरीक बालकपन से ही बहुत महान योद्धा थे उन्होंने श्रीकृष्ण और अपनी माता से युद्ध के गुर सीखे थे और उन्हें स्वयं भगवान शिव ने तीन अमोघ बाण दिए थे और माता दुर्गा ने उन्हे प्रसन्न होकर धनुष दिया था जिससे वे तीनों लोको पर विजय प्राप्त कर सके।
उसके बाद जब महाभारत का युद्ध हुआ तो उसमे अपनी माता को हारे हुए की तरफ से लड़ने के लिए वचन देते हुए वे युद्ध में शामिल होने चल दिए। साथ में उन्होंने हाथ में अपने तीन बाण और माता दुर्गा का धनुष ले रखा था।
लेकिन जब वो आ रहे थे तब सर्वज्ञाता श्रीकृष्ण ने उन्हें रोककर उनका मजाक उड़ाया की सिर्फ तीन बाणों के लेकर चले युद्ध लड़ने तब बर्बरीक ने कहा की मेरा एक बाण ही शत्रु सेना को परास्त करने के लिए पर्याप्त है और उन्हें मारने के बाद यह वापिस तूणीर में भी आ जायेगा और यदि मैंने तीनों बाणों का प्रयोग कर लिया तो पूरे ब्रह्मांड का विनाश हो जायेगा।
श्रीकृष्ण ने फिर बर्बरीक से कहा ऐसा है तो इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तो को भेदकर दिखाओ और बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करते हुए पेड़ की तरफ भगवान का नाम लेकर एक बाण चलाया।
उस बाण ने पेड़ के सारे पत्ते भेद दिए और श्रीकृष्ण के आसपास घूमने लगा तो बर्बरीक ने कहा की कृपा करके अपना पैर हटाए वरना ये आपके पैर को भेद देगा और फिर कृष्ण जी ने उससे पूछा की किसकी तरफ से युद्ध लड़ोगे तो उसने कहा हारने वाले की तरफ से तो कृष्ण जी को पहले से ही पता था कि युद्ध में कौरव हारेंगे तो ये उनकी तरफ हो जायेगा और युद्ध वो जीत जायेंगे।
इसके बाद कृष्ण जी ने उनसे दान की आशा की और उन्होंने वचन दिया तो श्रीकृष्ण ने वचन में उनका सिर मांग लिया और बर्बरीक ने सिर दे दिया और बाद में उनके दान से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हे अपने नाम से कलयुग में पूजे जानें का वरदान दिया।
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