पौष पुत्रदा एकादशी व्रत भारतीय हिंदू धर्म का एक त्यौहार है, जिसे इस साल और 13 जनवरी 2022 को मनाया जायेगा। इस व्रत को हर साल पौष महीने में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
व्रत का नाम (fasting name) | पुत्रदा एकादशी (putrda ekadashi) |
धर्म (Religion) | हिंदू (Hindu Religion) |
तारीख (Date) | 13 जनवरी 2022 |
लाभ | पुत्र की प्राप्ति |
प्रमुख मंत्र | ओम नमो भगवते वासुदेवाय |
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 12 जनवरी 2022 शाम 4:50 से लेकर 13 जनवरी 2022 को शाम 7:30 बजे तक रहेगा। जिसमे आप अपने कार्य कर सकते है।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पूजन विधि आपको नीचे फोटो में मिल जायेगी जो आपको पसंद आएगी।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा आपको नीचे मिल जायेगी इसे जरूर पढ़े।
धर्मराज युधिष्ठिर श्री कृष्ण से – भगवान मुझे पौष मास में आने वाली शुक्ल एकादशी के बारे में पूजन विधि और किस देवता को पूजा जाता है विधानपूर्वक बताइए।
श्री कृष्ण युधिष्ठिर – पौष मास में आने वाली शुक्ल एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इसमें श्री नारायण भगवान की पूजा की जाती है। यदि इसकी सही ढंग से पूजा की जाए तो इस चर और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है। इसके पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और लक्ष्मीवान होता है। इसकी मैं एक कथा कहता हूँ सो तुम ध्यानपूर्वक सुनो।
भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था। उसके कोई पुत्र नहीं था। उसकी स्त्री का नाम शैव्या था। लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी इसी कारण राजा मन ही मन दुखी रहा करता था।
वह मन ही मन सोचता यदि मैं मर गया तो मेरा पिंड दान कौन करेगा और मेरे पितरों का कर्ज मैं कैसे चुका सकूंगा। इसलिए उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए जतन करने शुरू कर दिए।
राजा ने एक बार आत्महत्या करने की सोची लेकिन उसे पाप मानकर व कर ना सका और जंगलो को ओर निकल पड़ा जहां उसने अनेक पशु पक्षियों को देखा वो अपने बच्चो के साथ घूम रहे थे। और सोचने लगा की मैंने इतने यज्ञ किए और ब्रह्मण देवो को भोजन करवाया लेकिन फिर भी मुझे ये दुख क्यों भगवान।
चलते-चलते राजा को बहुत प्यास लगी और वह एक सरोवर के किनारे गया जहां उसने पानी पिया और देखा तो वहां मुनियों की कुटिया बनी हुई हैं। राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे और राजा ने मुनियों को दंडवत प्रणाम किया जिसके बाद मुनियों ने प्रसन्न होकर उसे कुछ मांगने को कहा।
राजा ने पूंछा – आप कौन है महाराज और यहां किस कारण से आए है।
मुनि – उन्होंने कहा की हम विश्वदेव है, आज पुत्रदा एकादशी है हम सरोवर में स्नान करने आएंगे।
राजा – हे महाराज मेरे भी कोई संतान नहीं है, कृपया मुझे भी संतान का सुख दे।
मुनि – हे राजन! आज पुत्रदा एकादशी है। आप अवश्य ही इसका व्रत करें, भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा।
यह सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को उसका पराण किया और मुनियों को प्रमाण करके महल वापिस आ गया। और कुछ दिन बाद ही उसकी पति ने गर्भधारण किया और यशस्वी राजकुमार को जन्म दिया।
पौष पुत्रदा एकादशी की आरती आपको नीचे फोटो में अच्छे से मिला जायेगी हो आपको पसंद आएगी।
पौष की आने वाली 2022 में पहली पुत्रदा एकादशी की सभी जानकारी आपको जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी डॉट कॉम वेबसाइट पर मिल जायेगी।
इसे सभी धर्मो के लोग मना सकते है क्योंकि भारत के सभी लोग हिंदू है और उन्हें घर वापसी करनी चाहिए।
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