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रावण की जन्म से मृत्यु तक की कहानी: क्या थे रावण के गुण और अवगुण (Ravana Biography In Hindi)

रावण (Ravana) एक ऐसा व्यक्तित्व जिसे कुछ लोग सही तो कुछ लोग गलत मानते है। लेकिन शास्त्र और धर्म ग्रंथ और उसका चरित्र ही रावण को गलत बनाता है ये हम सब जानते है खैर रावण सही था या गलत ये सवाल हम आप पर छोड़ते है और जानते है कौनसी बातें है जो हमें रावण से सीखनी चाहिए और रावण के वे अवगुण जो अगर हमारे अंदर है तो उनका जल्द से जल्द त्याग बेहतर है।

इस लेख में आपको रावण (Ravana) के बारे में जो भी सवाल आपके मन मे है या कोई भी कहानी आपने सुनी है उसके बारे में जवाब मिल जायेंगे हम रावण के जीवन को इस लेख में समाहित करने की कोशिश करेंगे लेकिन एक विशाल व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के बारे में कुछ रह जाए उसे आप कॉमेंट में बता सकते हैं।

Story of Ravana from birth to death: what were the merits and demerits of Ravana In Hindi

रावण (Ravana) श्री लंका द्वीप का एक राक्षस राजा था जिसका वर्णन हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है।

नाम (Names)रावण (Ravana), लंकेश, दशानन
माता पिता का नाम (Parents Name)कैकसी (माता),
विश्रवा (पिता)
पत्नियों के नाम (Names Of Wives)मंदोदरी,
धन्यमालिनी
भाई और बहन (Brothers & Sisters)कुंभकरण, विभीषण, खार, दूषण, अहिरावण, कुबेर, कुम्भिनी और सूर्पनखा
रावण के बच्चे (Children’s)अक्षयकुमार, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर (मंदोदरी के पुत्र),
अतिक्या और त्रिशिरार (धन्यमालिनी के पुत्र),
प्रहस्था, नरांतका और देवताका (तीसरी पत्नी जिसके नाम का जिक्र नही है)
दादा-दादी (Grand Parents)पुलस्त्य (दादा) हविर्भुवा (दादी)
नाना-नानीराक्षसराज सुमाली (नाना),
केतुमती (नानी)
मामामारीच और सुबाहू

खुद को भगवान मानता था रावण

रावण ने तीनों लोको को जीत लिया लेकिन फिर भी उसके मन में ये भाव रहता था की लोग उसकी पूजा क्यों नही करते वह खुद को भगवान मानता लेकिन उसके मन में अशांति का भाव रहता था जिसके कारण ही उसने ऋषियों और मुनियों पर अत्याचार शुरू कर दिया था।

अवगुण: यह एक रावण का अवगुण था कि वह स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझता था आपको कभी भी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए।

दुश्मनों को समझता था कमजोर

रावण की नजरों में वह विश्व का सबसे बड़ा योद्धा था वह सोचता था कि उससे ज्यादा ताकतवर इस दुनिया में कोई नहीं है इसीलिए वह सब से युद्ध करता रहता था।

एक बार रावण ने वानर राज किष्किंधा नरेश बाली के बारे में सुना सुनते ही उसने बाली से युद्ध करने की ठानी और किष्किंधा पहुंचा लेकिन बाली अपने महल में नहीं था वह समुंद्र पूजन के लिए गया था।

लेकिन उसका भाई सुग्रीव किसके नाम है था उसने रावण को बताया कि बाली फिलहाल 4 समुंद्र की परिक्रमा करने के लिए गया है लेकिन रावण से रहा नहीं गया और वह वाली के पास समुद्र तट पर पहुंच गया और उसने बाली पर पीछे से प्रहार करने की स्थानी लेकर इतने में ही बाली ने उसे पकड़कर अपनी बगल (कांख) में दबा लिया।

और पूजा करने के बाद जब बाली ने रावण से पूछा कि बोलो यहां कैसे आना हुआ तो युद्ध करने गया रावण बदलकर बाली से बोला की वह तो मित्रता का प्रस्ताव लेकर आया था।

अवगुण: रावण का यह अवगुण सिखाता है कि हमें कभी भी अपने दुश्मन को अपने से कमजोर नहीं आंकना चाहिए और पूरा सोच समझकर विचार करके कोई भी कार्य करना चाहिए।

गुण: हमेशा अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए की हम कुछ भी कर सकते है किसी को भी हरा सकते है।

स्त्री लोभ (काम) पर नही था वश

जब श्रीराम से विवाह करने के लिए सूर्पनखा ने जिद की तो लक्ष्मण ने उसके नाक कान काट दिए। उसके बाद वह अपने भाई रावण के पास गई और बोली कि हमारे राज्य में दो सन्यासी घुस आए है और वे उसके लिए खतरा हो सकते है।

रावण तुरंत अपना रथ लेकर अपने मामा मारीच के पास गया लेकिन मारीच श्रीराम से पहले भी युद्ध कर चुका था और श्रीराम ने उसे तिनके का बाण बनाकर समुद्र के किनारे फेंक दिया था जब रावण ने मामा मारीच की बात सुनी तो श्रीराम से बदला लेने की भावना त्याग दी।

लेकिन जब सुपनखा ने कहा कि उनके साथ एक स्त्री भी है और वह विश्व की सबसे सुंदर स्त्री है और उसे रावण के महल में होना चाहिए तो रावण दुबारा मामा के पास गया और सीता हरण की योजना बनाई और वह इसके कुल के नाश का कारण बनी।

अवगुण: मर्दों को स्त्रियों के प्रति इतना आकर्षित नही होना चाहिए की अपना सब कुछ खो बैठे और बाद में पछताएं।

भक्ति का अहंकार

रावण भगवान शिव का इतना बड़ा भक्त था कि स्वयं भगवान शिव ने कहा था कि रावण उनका परम भक्त है।

लेकिन एक बार रावण के मन में विचार आया कि उनके भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अकेले रहते हैं और ना कोई सुख सुविधाएं हैं तो उसने भगवान शिव को अपने साथ लंका में लाने की सोची ताकि भगवान शिव भी सोने की लंका में वैभव भोग सके और रावण भी अपने आराध्य के साथ रह सके।

लेकिन जब रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अनूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया जिसके कारण रावण का हाथ दब गया और वह जोर जोर से रोने लगा उसके रोने की पुकार सुनकर सभी लोग भय से रोने लगे तब से ही रावण का नाम रावण पड़ा।

अवगुण: हमें कभी भी भक्ति, शक्ति और पैसे पर अहंकार नहीं करना चाहिए वरना 1 दिन हमें उसे लेकर पछताना पड़ सकता है।

गुण: रावण की तरह अपनी राय दें कि इस तरह सेवा करो कि वह खुद कहे कि आप उनके सबसे बड़े भक्त हो।

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Ram Singh Rajpoot

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