पांडुपोल-भर्तृहरि का मेला कब है और इसे क्यों मनाया जाता है?

Pandupol Hanuman bhartrihari Mela 2023: अलवर शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर पांडुपोल हनुमान जी का मेला भरता है इसमें राजस्थान, हरियाणा, यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से करीब लाखो की संख्या ने भीड़ आती है।

पांडुपोल और भरथरी दोनो मेले थोड़े ही दिन के आगे पीछे में भरते है। भरतरी मेला भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरना शुरू होता है जो इस बार 22 सितंबर 2023 को है।

और पांडुपोल का मेला भी भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन ही भरता है।

पांडुपोल भरतरी का मेला कब है इसे क्यों मनाया जाता है जानें भीम की गदा से कुंड बनने की पूरी कहानी
पांडुपोल भरतरी का मेला कब है इसे क्यों मनाया जाता है जानें भीम की गदा से कुंड बनने की पूरी कहानी

मेले के समय आप अपना निजी वाहन सरिस्का गेट से आगे नहीं ले जा सकते या तो आप रोडवेज बसों से या पैदल ही आगे जा सकते है।

राजस्थान में इस मेले की राजकीय छुट्टी दी जाती है राजस्थान के लोक देवता भरतरी पर कई फिल्में बनी है।

पांडुपोल भरतरी मेले में जाते समय अपने समान पर नजर रखें क्योंकि वहां जेब कतरो का काफी ज्यादा बोलबाला रहता है और बच्चे भी खो जाते है तो उन्हे अपने से ज्यादा दूर ना रखें।

यह कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है जब रानी द्रौपदी स्नान ध्यान करने झरने में गई तो उन्हें एक फूल बहता हुआ दिखा। जिसके बाद उनकी इच्छा हुई कि वह इसे अपने कानों के कुंडल में लगाएं उसके बाद उन्होंने भीम से इस पुष्प को लाने के लिए कहा।

जैसे ही भीम आगे बढ़े उन्हे एक विशाल वानर दिखा और घाटी सकरी होने के कारण भीम दूसरे रास्ते से नही जा सके तो उन्होंने कहा हे वृद्ध वानर आप अपनी पूंछ हटा लें तो इस पर उसे वृद्धवान ने कहा कि मैं तो वृद्ध हूं आप मेरी पूछ खुद हटा दें।

भीम के लाख कोशिश करने के बाद भी उनसे उस वृद्ध वानर की पूंछ नही हटी इसके बाद भीमसेन समझ गए कि यह कोई साधारण वानर नहीं है।

उसके बाद सभी पांडवों ने मिलकर इस वृद्ध वानर की लेते हुए रूप में पूजा की और उन्हें उनके वास्तविक रूप में आने के लिए कहा जिसके बाद हनुमानजी ने उन्हें अपना रूप दिखाया और पांडवों ने वहां हनुमान मंदिर की स्थापना की थी।

यह भी पढ़े

Leave a Comment