बालमणि अम्मा कौन है क्यों लगाया है Google ने आज इनका Doodle जानें जीवनी | Balamani Amma Biography In Hindi

कौन थी बालमणि अम्मा? जीवन परिचय

नालापत बालमणि अम्मा (Nalapat Balamani Amma) मलयालम भाषा की एक महान कवयित्री थी। मलयालम भाषा में इनका काल हिंदी के छायावादी काल के समकालीन था।

इन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 500 से अधिक कविताएं लिखी जिनके कारण इन्हें अपने जमाने की मलयालम भाषा की सबसे प्रसिद्ध कवयित्रियों में गिना जाता था।

मलयालम भाषा में अद्भुत पकड़ होने के साथ उनकी काव्य रचना के कारण उन्हें मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता है।

मलयालम साहित्य की दादी बालमणि अम्मा को समर्पित Google का यह Doodle
मलयालम साहित्य की दादी बालमणि अम्मा को समर्पित Google का यह Doodle

Google ने क्यों लगाया है बालमणि अम्मा का Doodle?

  • बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 को हुआ था जिसके कारण साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए गूगल ने उनका 113वां जन्मदिन (Birthday) मनाया है।
  • बालमणि अम्मा बीसवीं सदी की सबसे ज्यादा चर्चित और प्रतिष्ठित कवयित्री थी जिसके कारण उन्हें मलयालम साहित्य की अम्मा कहा जाता है।
बालमणि अम्मा की जीवनी जिनको Google ने किया Birthday Wish
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बालमणि अम्मा जीवनी | Balamani Amma Biography In Hindi

पूरा नाम (Full Name)नालापत बालमणि अम्मा (Nalapat Balamani Amma)
जन्म तिथि और स्थान (Date Of Birth & Place)19 जुलाई 1909 मालाबार जिला, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु की तिथि और स्थान (Date Of Death & Place)29 सितम्बर 2004 कोच्चि, केरल, भारत
पेशा (Profession)कवयित्री, लेखिका और एक महान अनुवादक
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय (Indian)
विधा कविता (मलयालम)
क्षेत्रमलयालम साहित्य
पति का नाम (Husband’s Name)वी॰एम॰ नायर
बेटे और बेटियां (Sons And Daughters)कमला दास, सुलोचना, मोहनदास, श्याम सुंदर
पुरस्कार (Awards)पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती पुरस्कार

पढ़ने के लिए नही जाने दिया गया स्कूल

बालमणि अम्मा का जन्म नालापत कूचुकुट्टी अम्मा (माताजी) और चित्तंजूर कुंज्जण्णि राजा (पिताजी) के घर में हुआ और इनका परिवार रूढ़िवादी था जिसके कारण इन्हें स्कूल नही जाने दिया गया।

लेकिन इनकी पढ़ाई में रुचि देखकर घरवालों ने उनके लिए घर पर ही शिक्षक की व्यवस्था कर दी और इनको संस्कृत और मलयालम का अच्छा ज्ञान हो गया।

मलयालम साहित्य की निखार के पायी प्रसिद्धि

बालमणि अम्मा ने मलयालम साहित्य में जिन कोमल शब्दो का प्रयोग किया इससे पहले वह सिर्फ संस्कृत साहित्य में ही किया जा सकता था लेकिन इन्होंने एक एक शब्द को चुन का मलयालम भाषा में पिरोया की सब देखते रह गए।

साहित्यकार होने के साथ वह एक अनुवादक भी थी इन्होंने अपने पति वी॰एम॰ नायर के साथ मिलकर कई रचनाओं का अपनी मातृभाषा मलयालम में अनुवाद किया

बालमणि अम्मा को मिले पुरस्कारों की लिस्ट

  • मलयालम साहित्य में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और सरस्वती पुरस्कार मिला।
  • इनकी साहित्यिक सेवाएं देखते हुए भारत सरकार ने साल 1987 में इन्हे पद्म भूषण दिया गया।

क्यों दिया जाता है बालमणि अम्मा पुरस्कार?

  • बालमणि अम्मा की याद में कोच्चि अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष मलयालम भाषा के किसी एक साहित्यकार को बालमणि अम्मा पुरस्कार दिया जाता है।
  • इस पुरस्कार के तहत ₹25 हजार नगद पुरस्कार और स्मृति चिन्ह के साथ दक्षिण भारतीय कपड़ा अंगवस्त्रम दिया जाता है।

कैसे हुई बालमणि अम्मा की मृत्यु?

  • अलजाइमर रोग से 5 वर्ष तक घिरी रहने के बाद उन्होंने 29 सितंबर 2004 को अपने प्राण त्याग दिए।
  • उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे शायमसुंदर ने रविपुरम शव दाह गृह, कोच्चि में कर दिया। और इसके साथ ही मलयालम साहित्य का एक तारा हमेशा के लिए डूब गया।

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