बराबर या सतघरवा गुफाएं भारत के बिहार राज्य के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर क्षेत्र में स्थित है। यह गुफाएं 322 से 185 ईसा पूर्व में मौर्य काल में बनी मानी जाती है इनमें सम्राट अशोक के शिलालेख भी पाए जाते है। यहां चार गुफाएं है करण चौपर
मुख्य बिंदु
- बराबर और नागार्जुनी की गुफाएं जुड़वा पहाड़ियों पर बनी है वही बराबर की गुफाएं ग्रेनाइट को काटकर बनाई गई है।
- यह गुफाएं मौर्य काल के सम्राट अशोक और दशरथ मौर्य से संबंधित है।
- बराबर की गुफाओं का उपयोग आजीविका संप्रदाय द्वारा किया गया जो जैन धर्म से संबंधित बताया जाता है अशोक स्वयं बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। आजीविका संप्रदाय की स्थापना मक्खलि गोसाल द्वारा की गई।
- बौद्ध और जैन धर्म का हिंदू धर्म से अटूट लगाव के कारण इन गुफाओं में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भी पाई जाती है।
- आकर्षक प्रतिध्वनि प्रभाव भी बराबर की गुफाओं में महसूस किया जा सकता है।
जगह का नाम (Name Of Place) | बराबर की गुफाएं (Barabar Caves) |
कहां पर (Location) | जाहानाबाद जिला, बिहार |
COORDINATES | 25.005°N 85.063°E |
निर्माण वर्ष | 322-185 ई. पू. |
उपनाम | बराबर, सतघरवा, सतघरवाँ |
लोमस ऋषि गुफा | Lomas Rishi Caves In Hindi
- बराबर पहाड़ी पर दक्षिणी किनारे पर बनी इन गुफाओं को लोमस ऋषि की कुटिया के नाम से जाना जाता है।
- यह गुफाएं मेहराब के आकार की बनाई गई है जैसे पहले लकड़ी पर वास्तुकला की जाती थी वैसी।ही उसपर की गई है।
- द्वार मार्ग पर हाथियों की पंक्तियां आपका स्वागत करेंगी।
- यह गुफा चंद्रशाला या चैत्य आर्क का सबसे जीवित उदाहरण है।
- इन गुफाओं के ऋषियों की साधना के लिए बनाया गया था इसलिए इनको झोपड़ी का आकार दिया गया।
- यह गुफा दो कमरों में विभाजित है, एक छोटी सुरंग से गुजरने के बाद बड़ा हॉल आता है।
- लोमस ऋषि की गुफा में अशोक के शिलालेख नही है।
- आजिविका संप्रदाय के बाद इस गुफा पर बौद्धों और जैन के बाद हिंदुओ का कब्जा हो गया।
- मौखरी वंश एक हिंदू शासक ने संस्कृत शिलालेख के अनुसार गुफा में कृष्ण भगवान की एक मूर्ति स्थापित करवाई थी।
सुदामा गुफा | Sudama Caves In Hindi
- इस गुफा का निर्माण मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने करवाया था।
- यह गुफा लोमस ऋषि गुफा के पास ही स्थित है, प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख है जिससे पता चलता है की ये गुफा इन गुफाओं में सबसे पुरानी है।
- सुदामा गुफा में एक धनुषाकार की छत है। इसमें एक गुंबदाकार गोलाकार कमरा है जिसके भीतर एक आयताकार मंडप है।
कर्णचौपर | Karan Chaupar Cave In Hindi
- इस गुफा में बहुत पुराने 245 ई.पू के शिलालेख मौजूद है, यह बराबर की पहाड़ी पर उत्तरी किनारे पर स्थित है।
- इसमें अशोक के 19वें वर्ष के शासनकाल का शिलालेख मौजूद है।
- शिलालेख के अंत में उल्टा स्वास्तिक (सातिया) बना हुआ है इससे पता चलता है की ये बौद्ध भिक्षु के लिए बनाई गई थी।
- गुप्त वंश के एक शिलालेख के अनुसार दरिद्र कंतारा यानी भिखारियों की गुफा कहा गया है।
विश्व झोपड़ी | Vishwakarma Cave In Hindi
- इसमें पहाड़ी को काटकर दो आयताकार कमरे बनाए गए है जिनपर आप सीढ़ी की सहायता से पहुंच सकते है।
- इस गुफा का दूसरा नाम विश्वामित्र की गुफाएं है इसमें अशोक चरण बने हुए है जो आपको रास्ता दिखाते है।
बराबर की गुफाएं देखने पर्यटक कैसे पहुंचे?
- हवाई सफर :- इन गुफाओं से गया का हवाई अड्डा 20 किलोमीटर दूर है और राजधानी पटना का एयरपोर्ट 105 किलोमीटर दूर है।
- रेल सफर :- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बेला है, जो 8 किलोमीटर दूर है। बाकी राजधानी पटना का स्टेशन भी है।
- सड़क मार्ग :- आपको गया से बराबर की गुफाओं के लिए आसानी से बस मिल जायेगी। वहां से आप राजधानी पटना निकल सकते है।
FAQ
बराबर की गुफाएं बिहार के जहानाबाद जिले में मखदुमपुर के पास एक पहाड़ी इलाके में है, जो गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर है।
आजीविका संप्रदाय को 5 वी शताब्दी में मक्खली गोशाला द्वारा स्थापित किया गया। यह जैन और बौद्ध धर्म का एक प्रतिद्वंदी आंदोलन था।
बाबा सिद्धनाथ मंदिर एक शिव जी का मंदिर है जो बराबर की पहाड़ियों के शिखर पर बना हुआ है। माना जाता है की सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण गुप्त वंश के शासन काल में किया गया।
बराबर की गुफाएं नागार्जुनी गुफाओं से 1.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहां तीन गुफाएं है।
यह भी पढ़े
- भानगढ़ दुर्ग, अलवर की फोटो, कहानी और इतिहास | Bhangarh Fort Images, Story & History In Hindi
- अलवर का बाला किला | Bala Quila alwar
- धोलागढ़ माता मंदिर, इतिहास, आरती | Dhaulagarh Mata Temple history in Hindi