दीपावली क्या है? जानें इसका इतिहास, महत्व, निबंध और शुभकामनाएं

दीपावली (Diwali) एक हिंदू त्योहार है जिसे संपूर्ण भारत में कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है जो श्री राम के वनवास से वापस आने की खुशी में मनाया जाता है। हिंदुओ के साथ जैन, सिख और बौद्ध भी इस त्योहार को मनाते है। इस साल दीवाली 24 अक्टूबर 2022 को सोमवार के दिन है। 

  • दीपावली का त्योहार हमारे जीवन में अन्धकार पर प्रकाश की विजय और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देता है।
  • इस दिन हम अपने घरों को सजाते है और साथ में आतिशबाजी और दिए जलाकर खुशियां बांटते है। कुछ लोग अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को उपहार देते है और दावत पर बुलाते है या फिर उनके घर मिठाई देकर आते है जिसमे सोहन पापड़ी सबसे ज्यादा बदनाम है।
  • दीपावली के दिन बहुत सारे देशों में राष्ट्रीय अवकाश होता है जिनमें भारत, नेपाल, श्री लंका, म्यांमार, मॉरिशस, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया शामिल है।
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दीपावली 2022 की तिथि और पूजा मुहूर्त का शुभ समय

इस बार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या यानी 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी जिसमें लक्ष्मी जी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 8:00 बजे से 10:00 बजे तक होगा। 

हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध धर्म में है दीपावली का अलग अलग महत्व और इतिहास

हिंदू दिवाली क्यों मनाते हैं?


हिंदू ग्रंथ रामायण के अनुसार जब श्री राम रावण को मार कर अपने वनवास से कार्तिक मास की अमावस्या के दिन वापस आए थे तो उनके आने की खुशी में पूरे अयोध्या में दीप जलाए गए थे। और संपूर्ण भारतवर्ष अपने आप को श्री राम का वंशज मानता है तो सभी लोग इस त्योहार को मनाते है। 


इसके अलावा और भी कारण है जिनके कारण हिंदू दिवाली मनाते है। 



  • कहा जाता है कि समुंद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन महा देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ इसी कारण इस दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

  • भगवान विष्णु का पांचवां अवतार जिसे हम वामन अवतार के नाम से भी जानते है उन्होंने इसी दिन माता लक्ष्मी को पाताल के राजा बलि की गिरफ्त से बचाया था।

  • जब राक्षस राजा नरकासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और सभी उसके अत्याचारों से दुखी हो गए तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16000 महिलाओं को आजाद करवाया लेकिन जब महिलाओं ने निवेदन किया की उनसे कोई विवाह नही करेगा तब भगवान श्री कृष्ण ने उनसे विवाह किया जिसके कारण 2 दिन तक उल्लास मनाया जाता है जिसमे एक दिन दिवाली का और दूसरा दिन नरक चतुर्दशी का मनाया जाता है।

  • महाभारत के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही पांडवों का हस्तिनापुर में 12 वर्ष के वनवास के बाद वापसी हुई।

  • विक्रम संवत के जनक राजा विक्रमादित्य का राजतिलक भी कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही किया गया।


जैन दीपावली क्यों मनाते है?


जैन धर्म में भी कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली का बहुत महत्व है इस दिन जैन धर्म के संस्थापक महावीर जी ने निर्वाण प्राप्त किया। उन्होंने इसी दिन अपने राजसी जीवन का त्याग एक तपस्वी बनने के लिए कर दिया था और मात्र 43 वर्ष की उम्र में ज्ञान प्राप्त कर जैन धर्म का विस्तार करने निकल पड़े। 


सिख दीपावली क्यों मनाते हैं?


सिख धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली का बहुत महत्व है वे इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते है।


जब जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद साहिब को ग्वालियर के किले में कैद कर लिया जब उनके साथ उस किले में 52 हिंदू राजा भी कैद थे ।


लेकिन जब से जहांगीर नहीं सिखों के छठे गुरु गुरु हरगोबिंद साहिब को गिरफ्तार किया तब से वह बीमार रहने लगा तब उन्होंने एक पीर को बुलाया जिसने उन्हें बताया कि उन्हें हरगोबिंद साहिब को रिहा करना होगा तभी वह ठीक हो सकते हैं। लेकिन हरगोबिंद साहिब में अकेले रिहा होने से मना कर दिया और उन 52 हिंदू राजाओं को भी अपने साथ ले जाने के लिए कहा लेकिन जहांगीर ने कहा कि उसी राजा को रिहा किया जाएगा जो आपका कोई कपड़ा पकड़ी होगा उसके जवाब में हरगोबिंद साहिब ने 52 कलियों का एक कुत्ता से लाय और हर एक राजा ने एक कली पकड़ी। 


जिसके बाद सभी राजा रिहा हो गए और उस किले जो गुरुद्वारा है वो आज भी दाता बंदी छोड़ के नाम से जाना जाता है और सिख धर्म के अनुयायी आज भी उस दिन को मनाते है और सिख धर्म सनातन धर्म का ही एक हिस्सा भी है। 


बौद्ध दीपावली क्यों मनाते हैं?






बौद्ध धर्म के संस्थापक श्री गौतम बुद्ध कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपावली के दिन ही तपस्या कर वापस लौटे थे। और इसी दिन उनके साथी अरहंत मुगलयान का निर्वाण भी हुआ था जिसके कारण बौद्ध धर्म में इसका खास महत्व है और बौद्ध धर्म सनातन धर्म से जुड़ा हुआ धर्म है। 






दीपावली कैसे मनाते है?

साफ सफाई करें

भारत में और विदेश में रहने वाले सभी धर्मों के लोग दिवाली आने से 10 से 15 दिन पहले ही अपने घरों की साफ-सफाई शुरू कर देते हैं और अपने घरों की लीपापोती करते हैं। 

मिठाई बनकर बांटते है और मेहमानो से मिलते हैं

सभी लोग अपने अपने घरों पर मिठाईयां बनाते हैं और अपने पड़ोसियों को बांटते हैं और मेहमानों को भी बांटते हैं जिनमें भारत की सबसे प्रसिद्ध मिठाई सोनपापड़ी है। सभी लोग अपनी गिले-शिकवे मिटाकर एक हो जाते हैं और मेहमानों के साथ दावत पर जाकर दीपावली मनाते हैं। 

आतिशबाजी करते हैं







वर्तमान में सभी लोग धूम-धड़ाके के लिए आतिशबाजी का प्रयोग करते हैं और दीपावली पर बहुत ज्यादा आतिशबाजी होने के कारण कई लोग इससे होने वाले नुकसान को भी बताते हैं। 







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दीपावली पर निबंध 100, 200, 500 शब्द और 10, 20, 50 लाइन

  • दीपावली पर बच्चो को सबसे ज्यादा मौज करने को मिलती है और अमावस्या की काली रात में दीपक जलाकर उसे जगमग करने वाले भी बच्चे ही होते है आजकल वैसे तो बहुत सारी चाइनीज लाइट आ गई है लेकिन गांव में अब भी दिए ही जलाएं जाते है।
  • दीपावली शब्द का अर्थ :- दीपावली शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है पहला दीप और दूसरा आवली जिसमे दीप का अर्थ दीपक और आवली का अर्थ होता है श्रंखला यानी दीपकों की श्रंखला।
  • घरों की सजावट और बड़ो का आशीर्वाद :- सभी घरवाली साफ सफाई में जुट जाते हैं और चाइनीज लाइटों से घरों को सजा देते है और बच्चे बड़ो का आशीर्वाद लेना कभी नही भूलते है।
  • दीपावली जिनके कारण बदनाम सी लगती है:- (1) शराबी दीवाली का सबसे ज्यादा माहौल शराबी ही खराब करते है और कुछ लोग तो तर्क भी देते है त्योहार है तो पीना ही चाहिए लेकिन हिंदुओ के किसी भी ग्रंथ में मदीरापन सही नही माना गया और यह राक्षसों के लिए है। (2) जुआरी और टोना टोटका करने वाले भी दीपावली को बदनाम करते हैं कुछ जुआरी दीपावली पर बहुत ज्यादा सट्टा लगाते हैं और टोना टोटका करने वाले बाबा भी इस टाइम अपने जोरों पर रहते हैं। (3) कुछ लोग ग्रीन दिवाली मनाने की कहते हैं क्योंकि पटाखों से प्रदूषण होता है और दीपावली पर बहुत ज्यादा पटाखे फोड़े जाते हैं लेकिन पटाखे फोड़ने वालों का तर्क होता है कि नव वर्ष और क्रिसमस पर फोड़ने वाले पटाखों पर रोक क्यों नहीं रोक लगाते।
  • उपसंहार :- हिंदुओं के सभी त्योहार खुशियों के त्योहार होते हैं और एकता और भाईचारे को दिखाते हैं इसके साथ ही आप सभी को भी एक रहना चाहिए साथ में बच्चों और अपनी खुशी के लिए बुरी आदतों को इस बार की दीपावली से छोड़ने का प्रयास करें।

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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दीपावली के साथ 5 दिन में मनने वाले त्योहार

पहला दिन धनतेरस


धन त्रयोदशी जिससे दीपावली महोत्सव की शुरुआत होती है इस दिन सभी भारतीय मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा करते है। कहा जाता है की तेरस के दिन ही समुंद्र मंथन में धन्वंतरि और उनके साथ हीरे जवाहरात निकले थे जिसके कारण इस दिन भारतीय घरों में कुछ न कुछ बर्तन या आभूषण खरीदने की परंपरा है। 


दूसरा दिन नरक चतुर्दशी


नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16000 महिलाओं को उस की कैद से आजाद करवाया था कहा जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन से स्नान करने पर संपूर्ण पाप धुल जाते हैं। 


तीसरा दिन दीपावली


तीसरा दिन होता है मुख्य दीपावली का जिसका सभी को इंतजार होता है इस दिन लोग आतिशबाजी कर के दीपक जला कर माता लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।


चौथा दिन अन्नकूट या गोवर्धन






इसके पीछे की मान्यता है कि त्रेता युग में गोकुल वासियों से नाराज होकर भगवान इंद्र ने बहुत तेज बारिश कर दी जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी पशु पक्षी और लोगों की रक्षा की थी। इस दिन अपने घर पर जितने भी पशु हैं उनको नहीं लाया जाता है और आंगन लिप कर गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है। 






पांचवा दिन भाई दूज

इस दिन भाई बहन का त्यौहार होता है बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसको तिलक लगाती है हिंदू धर्म में हर त्यौहार के पीछे भाई दूज का त्यौहार अवश्य आता है जिससे भाई और बहन में हमेशा एकता बनी रहे। 

दीपावली की पूजन विधि और कथा

दीपक जलाएं

दीपावली के दिन दीपक को का विशेष महत्व है इस दिन आपको दो तालियों में दीपक रखने हैं 13 दीपक जलाकर या 26 दीपक जलाकर आप लक्ष्मी जी का पोस्टर लाएं या दीवार पर लक्ष्मी जी और गणेश जी बनाए और उनकी पूजा अर्चना करें। आप खील बताशे और चावल चूरमा और बर्फी इत्यादि से भोग लगाएं। व्यापारी दीपावली के दिन पहले दुकान पर पूजा करें बाद में घर पर पूजन करें।