मोहम्मद अफज़ल गुरु (Mohammad Afzal Guru) आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी था जो साल 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले का मुख्य आरोपी था। जिसके बाद उसे दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2002 और भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में फांसी की सजा सुनाई जिसे राष्ट्रपति के पास भी दया याचिका नही मिली क्योंकि तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी जिसके बाद इसे 3 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल, दिल्ली में फांसी दे दी गई।
आतंकी अफजल गुरू का जन्म जून 1969 में कश्मीर के बारामूला जिले के सोपार शहर में हुआ इनके पिताजी का नाम हबीबुल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था। कहा जाता है की अफजल गुरु मिर्जा गालिब की शायरी का फैन था और उन्होंने अपने बेटे का नाम भी गालिब गुरु ही रखा था।
पूरा नाम (Full Name) | मोहम्मद अफज़ल गुरु (Mohammad Afzal Guru) |
जन्म तिथि और स्थान (Date Of Birth & Place) | जून 1969, बारामूला जिला, भारत |
मृत्यु की तिथि और स्थान (Date Of Death & Place) | 9 फरवरी 2013 (आयु 43 वर्ष) तिहाड़ जेल, दिल्ली, भारत |
मौत का कारण | फांसी दी गई 2001 में संसद पर आतंकी हमले का मास्टरमाइंड होने के लिए |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | तबस्सुम गुरु (Tabassum Guru) |
शिक्षा (Education) | दिल्ली विश्वविद्यालय |
बेटे का नाम (Son’s Name) | गालिब गुरु (Ghalib Guru) |
माता पिता का नाम (Parents Name) | आयशा बेगम (माता), हबीबुल्लाह (पिता) |
प्रेरणा | जैश-ए-मोहम्मद (आतंकी संगठन), इस्लामी चरमपंथ और कश्मीरी अलगाववाद (आंदोलन) |
पुलिस द्वारा पकड़े जाने की तिथि | 21 दिसंबर 2001 |
अफ़ज़ल गुरु की प्रारंभिक शिक्षा अपने शहर सोपार के सरकारी स्कूल से हुई और फिर उसने साल 1986 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बाद में झेलम वैली में मेडिकल में दाखिला लिया और एमबीबीएस किया। बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से साल 1993-94 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
अफ़ज़ल गुरु के पिता हबीबुल्लाह कश्मीर में एक लकड़ी का व्यापार चलाते थे लेकिन जब अफ़ज़ल छोटा था तभी उनकी मृत्यु हो गई।
अफ़ज़ल गुरु ने अपनी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी की जिसके बाद वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना खर्चा निकालने लगा और एक समय उसने अपने भाई के साथ बैंक ऑफ अमेरिका में भी नौकरी की थी। लेकिन 7 साल दिल्ली में रहने के बाद अफ़ज़ल अपनी पत्नी तबस्सुम गुरु और अपने बेटे गालिब गुरु के साथ कश्मीर वापिस चला गया और आतंकी संगठनों के साथ शामिल हो गया।
दिन 13 दिसंबर 2001 एक कार से संसद भवन परिसर में 5 आतंकियों ने एंट्री ली और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसमे 9 लोग मारे गए और 45 मिनट चली इस फायरिंग में 15 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। उसके बाद 15 दिसंबर 2001 को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी अफजल गुरु को जम्मू कश्मीर से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके कुछ समय बाद ही पूछताछ के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के एसएआर गिलानी को भी गिरफ्तार कर लिया गया और साथ में अफजल गुरु के भाई शौकत हुसैन गुरु और एक आतंकी अफसान गुरु को भी गिरफ्तार किया गया।
4 जून 2002 को संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु, गिलानी, शौकत हुसैन गुरु, अफसान गुरु को आरोपी माना गया और 18 दिसंबर 2002 को अफसान गुरु को छोड़कर बाकी सब उनको फांसी की सजा सुना दी गई।
29 अक्टूबर 2003 को संसद हमले का आरोपी माना गया गिलानी लेकिन बाद में उसे बरी कर दिया गया। 4 अगस्त 2005 को शौकत हुसैन गुरु के मृत्युदंड को 10 वर्ष के सश्रम कारावास में बदल दिया गया लेकिन अफ़ज़ल गुरु की फांसी बरकरार रखी गई।
3 अक्टूबर 2006 को अफजल गुरु की पत्नी ने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी फांसी माफ करने के लिए दया याचिका दायर की। 12 जनवरी 2007 को भारत के उच्चतम न्यायालय ने अफजल गुरु की फांसी पर दया याचिका विचार योग्य नहीं कह कर खारिज कर दी।
3 फरवरी 2013 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अफजल गुरु की फांसी पर आई दया याचिका खारिज कर दी। उसके बाद 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में सुबह 8:00 बजे अफजल गुरु को फांसी दे दी गई।
अफजल को अंदाजा भी नहीं था कि उसे इस तरीके से फांसी दे दी जाएगी उसको आशा थी की उसका वकील और परिवार वाले उसकी सजा को उम्र कैद में बदलवा लेंगे लेकिन जब उससे अपनी आंख इच्छा के बारे में पूछा गया तो उसने कहा मुझे कुरान चाहिए लेकिन कुरान उसके पास पहले से ही थी।
इसके बाद अफ़ज़ल गुरु से उसके खाने के बारे में पूछा लेकिन उसने कुछ नहीं बताया तो जेल अधिकारियों ने उसकी पसंद का खाना अपने अनुसार ही भिजवा दिया जिसे उसने नहीं खाया था। और सुबह जल्दी ही जब अधिकारी उसके पास पहुंची तो वे पहले से ही जगा हुआ था। फिर उसके बाद अफजल का वजन और लंबाई नापी गई ताकि रस्सी का अंदाजा लगाया जा सके और उसके बाद आसपास के कैदियों को हटा दिया गया और तिहाड़ जेल के बैरक नंबर 3 में उसे फांसी दे दी गई और सेल के सामने पहले से ही कब्र तैयार थी जिसमे इस्लाम रीति रिवाजों से उसका अंतिम संस्कार किया गया।
उसके शव को उसके परिवार वालो को नही सौंपा गया अफ़ज़ल फांसी से पहले काफी डरा हुआ था।
भारतीय राजनेता कन्हैया कुमार पर कथित तौर पर देश द्रोह का मामला दर्ज किया गया की उन्होंने जेएनयू में अफ़ज़ल गुरु के समर्थन में नारेबाज़ी की और कहा की ” अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा है” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे नारे दिए। लेकिन कन्हैया कुमार ने अफ़ज़ल गुरु के लिए कहा था की ” मेरे लिए वह एक भारत का नागरिक था और जम्मू कश्मीर का निवासी था। पर मेरा आइकॉन अफजल नहीं, रोहित वेमुला है, संविधान में हमारा विश्वास, सत्य की जीत होगी।” अब क्या सकते हैं क्या सत्य यह फैसला कोर्ट को लेना है।
आतंकी अफजल गुरु के बेटे गालिब पर एक फिल्म आ रही है जिसके निर्माता घनश्याम पटेल और डायरेक्टर निमिषा आमीन है और इस फिल्म में अफ़ज़ल गुरु की पत्नी का किरदार दीपिका चिखालिया निभा रही है जो भारतीय हिंदू ग्रंथ रामायण पर बने सीरियल में सीता की भूमिका में नजर आई थी।
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