Amar Jawan Jyoti क्या है? (परिचय)
दिल्ली के इंडिया गेट पर एक काले रंग का स्मारक है जिसपर सुनहरे अक्षरों से अमर जवान लिखा हुआ है। जिसपर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल, एक सैन्य हेलमेट रखा है जिसके सामने एक लौ है जो पिछले 50 सालो से लगातार जल रही है।
अमर जवान ज्योति में यह चबूतरा 4.5 मीटर चौड़ा और 1.29 मीटर ऊंचा है इसे संगमरमर से बनाया गया है। इसके चारो कोनो पर कलश रखे हुए है जिनमे से एक कलश की लौ हमेशा जलती रहती है और बाकी की 3 कलश में लौ 15 अगस्त और 26 जनवरी को जलाई जाती है।
चर्चा में क्यों
- इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति का विलय नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति से कर देने का फैसला मोदी सरकार द्वारा लिया गया है।
- कांग्रेश और विपक्ष का दावा है कि सरकार शहीदों का सम्मान ना करने पर तुली हुई है और ज्योति के लौ को बुझाया जा रहा है, लेकिन सरकार का दावा है की उसे बुझाया नही जा रहा बल्कि नेशनल वॉर मेमोरियल के साथ विलय किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- अमर जवान ज्योति दिल्ली के इंडिया गेट पर पिछले 50 सालो से निरंतर जल रही है।
- अमर जवान ज्योति की स्थापना भारतीय प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1972 में की, जो की भारत पाक युद्ध 1971 में शहीदों की स्मृति में कराई थी।
- इसपर जो राइफल और हेलमेट है वो किसी अज्ञात सैनिक के है।
- इसकी लौ को जलाने के लिए 1972 से 2006 तक एलपीजी गैस का उपयोग किया जाता था लेकिन 2006 से सीएनजी का उपयोग किया जाने लगा।
- साल 1972 के बाद भारत का प्रधानमंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
- साल 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद इसपर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
अमर जवान ज्योति का इतिहास
बांग्लादेश को लेकर भारत और पाकिस्तान में 3 दिसंबर को 1971 में युद्ध छिड़ गया। और 13 दिन तक चली इस लड़ाई में भारत के 3,843 जवान शहीद हुए। लेकिन पाकिस्तान देश के लगभग 93000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
- इस युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों की स्मृति में 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया।
इंडिया गेट अमर जवान ज्योति की देखभाल भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना तीनो मिलकर करते है। यह ज्योति हमेशा जलती रहे इसकी देखभाल के लिए एक व्यक्ति हमेशा इसके नीचे मेहराब में रहता है।
नेशनल वॉर मेमोरियल उन सैनिकों की याद में बनाया गया है जिन्होंने स्वतंत्र भारत के लिए अपनी जान गवां कर शाहिद हुए है। इसका उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को किया। इसपर स्वतंत्र भारत में अबतक शाहिद हुए सैनिकों का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है।
निष्कर्ष
भारतीय वर्तमान सरकार ज्योति को बुझाना नही चाहती बल्कि उसे नेशनल वॉर मेमोरियल के साथ जोड़ना चाहती है लेकिन विपक्ष के लोगो का कहना भी सही सा ही लग रहा है। और पूर्व सेना के लोग भी ज्योति को मर्ज ना करने की अपील सरकार से कर रहे है। तो सरकार को इस समस्या का समाधान जल्द करना चाहिए बाकी इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है कॉमेंट में जरूर बताएं।
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