कॉमन सिविल कोड क्या है
समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) क्या है? इसके फायदे और नुकसान के साथ उसके गुण और दोष इसे लागू करने के बाद क्या क्या होगा और इससे पहले कैसी व्यवस्था थी। समान नागरिक संहिता कहा कहा लागू है और भारत में इसका विरोध लोग क्या तर्क देकर करते है सभी के बारे में हम आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे है।
“मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में दी जानी चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से विधायिका को रोक सके। सब के बाद, हम क्या कर रहे हैं के लिए इस स्वतंत्रता? हमारे सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता हो रही है, जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करते हैं।”
— भीमराव अम्बेडकर
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भारतीय संविधान अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता लागू करना राज्य का कर्तव्य मानता है। लेकिन शादी, तलाक, विरासत और संपत्ति पर अधिकार आदि सामाजिक मुद्दे समवर्ती सूची में आते है इसलिए केंद्र और राज्य दोनो सरकारें इसपर कानून बना सकती है। विशेषज्ञों का मानना है की केंद्र सरकार कानून लाकर जल्द से जल्द इसको लागू कर दे।
42 वें संविधान संशोधन 1976 मैं भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया जिसके अनुसार भारत की सरकार किसी भी धर्म का समर्थन नहीं करेगी लेकिन सभी धर्मों का लॉ बोर्ड होने से तो जिनका कोई धर्म नही है उनका क्या होगा और इससे तो सरकार से ऊपर धर्म नजर आता है जिसके कारण समान नागरिक संहिता का अबतक लागू नहीं होना एक दोष के समान है।
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