जीवन परिचय biography in Hindi

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय और रचनाएंं | Hazari Prasad Dwivedi Biography In Hindi PDF

हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi), BIOGRAPHY, NIBANDH, PUNAY TITHI, JAYANTI, RACHNAYEN, SAHITYA, JEEVAN PARICHAY, IN HINDI: सभी की जानकारी आपको आई पोस्ट में मिल जायेगी।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (Acharya Hazari Prasad Dwivedi) एक भारतीय साहियकार थे। जिनकी हिंदी के साथ साथ बांग्ला और अंग्रेजी भाषाएं भी आती थी लेकिन उन्होंने साहित्यिक रचनाएं हिंदी भाषा में ही की। इनके आलोक पर्व नामक निबंध पर इनको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

हजारी प्रसाद द्विवेदी साहित्यिक जीवनी | AACHARYA HAZARI PRASAD DWIVEDI BIOGRAPHY IN HINDI

नाम (Name)हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi)
जन्म तिथि और स्थान (date and place of birth) 19 अगस्त 1907 बलिया, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु की तिथि और स्थान (date and place of death)19 मई 1979 दिल्ली, भारत
व्यवसाय (profession)लेखक, आलोचक, प्राध्यापक (writer, critic, professor)
हिंदी साहित्य का काल (Hindi literature period division)आधुनिक काल
हिंदी साहित्य विधा हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार (Hindi essayist, critic and novelist)
बचपन का नाम (childhood name)वैद्यनाथ द्विवेदी (Vaidyanath Dwivedi)
माता पिता का नाम (Parents Name)अनमोल द्विवेदी, ज्योतिष्मती
सम्मान/ पुरस्कार (Prize) 1. साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1957 में पद्म भूषण से सम्मानित
2. आलोक पर्व निबंध के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
3. लखनऊ विश्वविद्यालय ने इनको Doctor of Letters (डॉक्टर ऑफ लेटर्स) का सम्मान दिया।
पत्नी का नाम (wife’s name)भगवती देवी

हजारी प्रसाद द्विवेदी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 को बलिया उत्तरप्रदेश में हुआ। इनका परिवार पंडित होने के कारण संस्कृत में निपुण था इनके पिताजी पंडित अनमोल द्विवेदी एक संस्कृत के विद्वान थे। इनका बचपन में नाम वैद्यनाथ द्विवेदी रखा गया था। साल 1927 में हजारी जी का विवाह भगवती देवी से हुआ।

शिक्षा (EDUCATION QUALIFICATION)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही हुई और बाद में इन्होंने 1920 में बसरिकापुर के मध्यम विद्यालय से प्रथम श्रेणी से पास हुए। और बाद ने इन्होंने पराशर ब्रह्मचर्य आश्रम से संस्कृत का अध्ययन शुरू किया। बाद में साल 1923 में हजारी जी रणवीर संस्कृत पाठशाला काशी में प्रवेश लिया। और अपनी उच्चतम शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1927 में पूर्ण की।

1929 में उन्होंने इंटरमीडिएट और संस्कृत साहित्य में शास्त्री की परीक्षा से उपाधि हासिल की। और 1930 में ज्योतिष विषय में आचार्य की उपाधि ली।

साल 8 नवम्बर 1930 को आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शांति निकेतन से आचार्य क्षितिमोहन सेन और गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर की छत्रछाया से हिंदी का अध्ययन शुरू किया। 20 वर्षो तक हिंदी का गहन अध्ययन करने के बाद दिवेदी जी जुलाई 1950 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और हिंदी के अध्यक्ष बन गए। इनको 1957 में भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया।

साल 1960 में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया। और तुरंत ही उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में हिंदी प्रोफेसर और अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। लेकिन इसके 7 साल बाद ही आचार्य जी अक्टूबर 1967 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लौटे।

और साल 1968 में इन्हे विश्वविद्यालय के रेक्टर पद पर पहुंचे और बाद ने 25 फरवरी 1970 को उन्होंने रिटायरमेट ले लिया।

बाद में हजारी प्रसाद द्विवेदी 1972 से आजीवन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष बने रहे। और साल 1973 में उन्हे आलोक पर्व पर साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

19 मई 1979 को ब्रेन ट्यूमर से आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की निधन हो गया।

Latest News In Hindi

यह भी पढ़े

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचनाएं हिंदी साहित्य

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने जीवनकाल में अनेक रचनाएं की जिनमें से कुछ रचनाओं पर उन्हें अवार्ड भी मिले। आप उनकी सभी रचनाओं के नाम देख सकते है हालांकि कुछ रचनाएं छूट सकती है।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का आलोचनात्मक साहित्य रचनाएं नाम

सूर साहित्‍य (1936)आधुनिक हिन्‍दी साहित्‍य पर विचार (1949)साहित्‍य का मर्म (1949)
हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)मेघदूत एक पुरानी कहानी (1957)लालित्‍य तत्त्व (1962)
प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)कालिदास की लालित्‍य योजना (1965)साहित्‍य सहचर (1965)
कबीर (1942)हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास (1952)मध्‍यकालीन बोध का स्‍वरूप (1970)
नाथ संप्रदाय (1950)सहज साधना (1963)मृत्युंजय रवीन्द्र (1970)
हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के निबंध संग्रहों के नाम

अशोक के फूल (1948)कल्‍पलता (1951)
मध्यकालीन धर्मसाधना (1952)कुटज (1964)
विचार और वितर्क (1957)आलोक पर्व (1972) साहित्य अकादमी पुरुस्कार इसी पर मिला
विचार-प्रवाह (1959)चारु चंद्रलेख (1963)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के कुछ निबंधों के नाम

विश के दन्तनाखून क्यों बढ़ते हैैंवर्षा घनपति से घनश्याम तक
कल्पतरुअशोक के फूलमेरी जन्मभूमि
गतिशील चिंतनदेवदारूघर जोड़ने की माया
साहित्य सहचरबसंत आ गयाविचार और वितर्क (1954)

हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों के नाम

संक्षिप्‍त पृथ्‍वीराज रासो (1957)संदेश रासक (1960)
महापुरुषों का स्‍मरण (1977)सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण (1979)

हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली

साल 1981 में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की सभी रचनाओं का संकलन 11 खंडों में हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली नाम से प्रकाशित किया गया।

एक संस्करण के बाद हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली का दूसरा संशोधित संस्करण साल 1998 ने प्रकाशित किया गया।

हिन्दी भाषा का वृहत् ऐतिहासिक व्याकरण

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने व्याकरण के क्षेत्र में काम करके एक ग्रंथ हिन्दी भाषा का वृहत् ऐतिहासिक व्याकरण नाम से लिखा। और इस व्याकरण ग्रंथ की पांडुलिपियां बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को दी गई लेकिन समय पर प्रकाशन ना होने के चलते वो पांडुलिपियां विश्वविद्यालय से गायब हो गई।

बाद ने हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के पुत्र मुकुन्द द्विवेदी को इस व्याकरण ग्रंथ के पहले खंड की प्रतिकॉपी मिली। और बाद ने इसे 12 खंडों में प्रकाशित किया गया।

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी पर साहित्य रचनाएं

शांतिनिकेतन से शिवालिक (शिवप्रसाद सिंह,1967)साहित्यकार और चिन्तक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (राममूर्ति त्रिपाठी, 1997)हजारीप्रसाद द्विवेदी (चौथीराम यादव, 2012)
दूसरी परम्परा की खोज (नामवर सिंह, 1982)आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी – व्यक्तित्व और कृतित्व (व्यास मणि त्रिपाठी, 2008)आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जय-यात्रा (नामवर सिंह)
हजारीप्रसाद द्विवेदी (विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, 1989)व्योमकेश दरवेश (विश्वनाथ त्रिपाठी, 2011)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के काव्य और रचनाओं की विशेषताएं

भाषा

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की भाषा परमार्जित खड़ी बोली है। हजारी जी ने अपनी रचनाओं के लिए सही भाषा का प्रयोग किया है। इनकी भाषा शैली में दो तरह की भाषा प्रयोग की जाती है। पहली प्राँजल व्यावहारिक भाषा,और दूसरी संस्कृतनिष्ठ शास्त्रीय भाषा का प्रयोग हुआ है।

  • उर्दू और अंग्रेजी के शब्दो का प्रयोग हुआ है।

वर्ण्य विषय

भारतीय संस्कृति, इतिहास, ज्योतिष, साहित्य विविध धर्मों का वर्णन किया। इसी आधार को लेकर आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के निबंधों को 2 भागों में बांटा जाता है। विचारात्मक और आलोचनात्मक

शैली

गवेषणात्मक शैली

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी विचारात्मक और आलोचनात्मक निबंध इसी शैली में लिखे हैं। इसमें संस्कृत और प्रांजल शब्दों की अधिकता मिलती है।

वर्णनात्मक शैली

इसमें आचार्य जी ने हिंदी के शब्दो के साथ संस्कृत के तत्सम शब्द और उर्दू के शब्दो का प्रयोग भी किया है।

व्यंग्यात्मक शैली

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने व्यंग्यात्मक शैली में भी निबंध रचनाएं की है।

यह भी पढ़े

Ram Singh Rajpoot

Recent Posts

RBSE 5th Result 2024: जारी होने में कुछ समय ऐसे करें चेक? | 5वीं बोर्ड रिजल्ट राजस्थान, अजमेर (RajeduBoard.Rajasthan.Gov.In)

Ajmer Board Rajasthan 5th Result 2024 Name Or Roll Number Wise RajeduBoard.Rajasthan.Gov.In: राजस्थान बोर्ड, अजमेर…

9 months ago

Up Board 12th Result 2024: जारी हुआ परिणाम जानें कैसे देख सकते है आप Direct Link

Uttar Pradesh Board Class 12 Examination Result 2024: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) जल्द…

9 months ago

Up Board 10th Result 2024: जारी हुआ परिणाम जानें कैसे देख सकते है आप Direct Link

UP Board Class 10 Results 2024: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) जल्द ही उत्तर…

9 months ago

दुनिया का सबसे अमीर आदमी कौन है 2024

फोबर्स ( fobers ) के अनुसार 2024 में डूबे के सबसे अमीर आदमी जेफ बेजॉस…

9 months ago

BSEB Matric Result 2024, Bihar Board 10th Class Result 2024 (Link) resultbseb.online

Bihar Board 10th Result 2024 will be released on 5th April 2024 at the official…

9 months ago

कबड्डी का सबसे महंगा बिकने वाला खिलाड़ी कौन है?

प्रो कबड्डी 2021 का सबसे महंगा बिकने वाला खिलाड़ी कौन है? पीकेएल 2021 में सबसे…

9 months ago