ज्योतिराव गोविंदराव फुले (महात्मा फुले)

ज्योतिराव गोविंदराव फुले (Jyotirao Govindrao Phule) एक भारतीय समाज सुधारक, विचारक, लेखक और क्रांतिकारी दार्शनिक थे। जिनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को खानवाड़ी, पुणे, ब्रिटिश भारत में हुआ और उनकी मृत्यु 28 नवम्बर 1890 को मात्र 63 वर्ष की आयु में पुणे में हुई। 

  • महात्मा फुले ने सितम्बर 1873 को सत्य शोधक समाज की स्थापना की सत्य शोधक समाज संगठन की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई।
  • ज्योतिबा फुले ने हिंदू धर्म में प्रचलित जातिवाद का विरोध कर सभी के लिए समान शिक्षा की बात की।
  • ज्योतिराव फुले ने स्त्री शिक्षा का और विधवा विवाह का समर्थन किया और बाल विवाह का विरोध किया था।
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ज्योतिराव फुले व्यक्तिगत जीवन

भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के पति और डॉ. भीमराव अम्बेडकर के गुरु ज्योतिबा फुले ने अपना सम्पूर्ण जीवन स्त्री शिक्षा और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। ज्योतिराव जब मात्र 1 वर्ष के थे तब इनकी माताजी का निधन हो गया। 

  • फुले नाम कैसे मिला :- जब इनकी माताजी का निधन हुआ तो बाद मे इनका पालन पोषण एक सगुनाबाई नामक महिला ने किया जिनका परिवार सतारा से जाकर पुणे में फूल बेचने का काम करता था जहां माली परिवार का उपनाम फुले होता है।
  • शिक्षा (Education) :- ज्योतिबा फुले ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मराठी से की लेकिन बाद में उन्होंने सातवी कक्षा अंग्रेजी से 21 वर्ष की आयु में की।
  • स्त्री शिक्षण के आद्यजनक :- स्त्री शिक्षण के आद्यजनक ज्योतिबा फुले को कहा जाता है यह उपाधि इन्हे ब्रिटिश सरकार द्वारा 1883 में स्त्री शिक्षा पर विशेष योगदान को देखते हुए दी गई।
  • ज्योतिबा को महात्मा की उपाधि :- ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि 1888 में मुंबई में सत्य शोधक समाज की एक विशाल सभा ने दी।

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ज्योतिबा फुले द्वारा लिखी गई पुस्तक (Books)

  • महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपनी किताब लिखी जिनमें गुलामगिरी, किसान का कोड़ा, तृतीय रत्न, सीक्रेट राइटिंग्स ऑफ ज्योतिराव फुले और Slavery प्रमुख है।

ज्योतिबा फुले के सामाजिक और शिक्षा पर विचार

  • ज्योतिबा फुले ने सर्वप्रथम बिना ब्राह्मण विवाह शुरू करवाया और बाद में उसे हाई कोर्ट से मान्यता भी मिली।
  • साल 1840 में ज्योतिबा फुले का वह सावित्रीबाई फुले से हुआ वह खुद एक समाज सुधारक थी जिन्होंने भारत का पहला महिला स्कूल खोला और पहली महिला शिक्षक बनी।
  • पिछड़े लोगो के लिए काम करते हुए उन्होंने ही उनके लिए दलित शब्द का प्रयोग किया।
  • उन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की जिसका उद्देश्य दलित लोगों को न्याय दिलाना और उन को शिक्षा के प्रति जागरूक करके उत्पीड़न रोकना था।
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ज्योतिबा फुले को दलितों के लिए लड़ने की प्रेरणा कहा से मिली?

ज्योतिबा फुले को दलितों के लिए काम करने की प्रेरणा उनके एक ब्रह्मण दोस्त की शादी से मिली साल 1948 में ज्योतिबा फुले अपने एक ब्राह्मण दोस्त की शादी में गए वहां पर उन्हें हिंदू धर्म के अनुसार सबसे निचले वर्ण शुद्र में होने के कारण बहुत बेजत किया गया जिसके बाद उन्होंने दलितों के लिए काम करने की ठानी और इस सामाजिक बुराई और भेदभाव को दूर करने का निर्णय लिया। 

महात्मा ज्योतिराव फुले के बारे में रोचक तथ्य

  • ज्योतिबा फुले ने शिक्षा के अलावा विधवा विवाह और विधवाओं के लिए आश्रम के साथ नवजात शिशुओं के लिए आश्रम और कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के लिए भी प्रयास किया।
  • ज्योतिबा फुले का पूरा नाम महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव फुले था गोविन्दराव फुले उनके पिताजी और माता का नाम विमला बाई था।

महात्मा ज्योतिराव फुले के अनमोल विचार

  • बाल काटना नाई का धर्म नहीं, धंधा है। चमड़े की सिलाई करना मोची का धर्म नहीं, धंधा है। उसी प्रकार पूजा-पाठ करना ब्राह्मण का धर्म नहीं, धंधा है।
  • ईश्वर एक है और वही सबका कर्ता-धर्ता है।