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Pandit Birju Maharaj Biography, Kathak Dance Video, Date Of Birth (Age), Date Of Death, Wife, Story In Hindi: आज हम आपको कथक नर्तक और गायक बृज मोहन नाथ मिश्रा के बारे ने बताएंगे।
पंडित बिरजू महाराज का असली नाम (Real Name) पंडित बृजमोहन मिश्र था, यह एक प्रसिद्ध कथक नर्तक और गायक कलाकार थे। लखनऊ घराने के संबंध रखने वाले बिरजू महाराज के पिताजी जगन्नाथ महाराज भी कथक नर्तक थे।
आइए हम जानते है बिरजू महाराज के संपूर्ण जीवन के बारे में सरल भाषा में।
Contents
नाम (Name) | पंडित बृजमोहन मिश्र |
माता पिता का नाम (Parents Name) | जगन्नाथ महाराज (अच्छन महाराज) (पिता), अम्मा जी महाराज (माता) |
पेशा (Profession) | शास्त्रीय नर्तक, गायक, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत |
चाचा ताऊ (Uncle) | लच्छू महाराज, शंभु महाराज |
जन्म तिथि और स्थान (Date Of Birth & Place) | 4 फरवरी 1938 लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु का समय और कारण | 16 जनवरी 2022, हार्ट अटैक के कारण |
नाती पोते पोतियां | शिंजनी कुलकर्णी (नाती), त्रिभुवन महाराज (पोते), रागिनी महाराज (पोती) |
उपनाम | बिरजू महाराज, कथक सम्राट, कथक सरताज |
बिरजू महाराज का जन्म एक ब्रह्मण हिंदू परिवार में हुआ जहां उनके परिवार वाले लखनऊ घराने के लिए कथक नृत्य किया करते थे। इनका परिवार कथक ने निपुण होने के कारण इनमे भी कथक के गुण आ गए और ये कथक सम्राट बिरजू महाराज कहलाए। इसके अलावा ठुमरी, दादरा, भजन व ग़ज़ल गायकी में भी बिरजू महाराज का नाम अग्रणी भूमिका में गिना जाता है।
बिरजू महाराज की अम्मा को उनका पतंग उड़ाना और गिल्ली डंडा खेलना बिलकुल पसंद नहीं था जिसके कारण उन्हें पतंग के पैसे घर से नही मिलते थे लेकिन बिरजू दुकानदार बब्बन मियां को अपना नाच दिखाकर पतंग ले लिया करता था।
इन्होंने अपना पहला गायन सिर्फ 7 वर्ष की छोटी उम्र ने गाया और जब बिरजू सिर्फ 9 वर्ष के थे तब 20 मई 1947 को इनके पिताजी का देहांत हो गया।
कपिला वात्स्यायन के साथ बिरजू महाराज दिल्ली आए और छोटे बच्चो को कथक सीखने लगे और कुछ समय बाद ही उन्हें कथक केंद्र, दिल्ली का कार्यभार दे दिया गया। बाद में दिल्ली में कलाश्रम नाम का उन्होंने कथक संस्थान भी खोला।
16 जनवरी 2022 को 83 साल की उम्र में कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज की मृत्यु हार्टअटैक के कारण हुई। कहा जा रहा था की वो रात को अपने पोते के साथ खेल रहे थे और खेलते खेलते वे अचानक गिर गए और मृत्यु हो गई और दूसरी ओर न्यूज आ रही है की वो अंतराक्षी खेलते खेलते स्वर्ग सिधार गए।
पुरस्कार का नाम | विशेष / वर्ष |
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार | 1964 |
पद्म विभूषण | 1986 |
श्रीकृष्ण गण सभा द्वारा नृत्य चूड़ामणि पुरस्कार | 1986 |
कालिदास सम्मान | 1987 |
लता मंगेशकर पुरस्कार | 2002 |
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय | Honorary doctorate की उपाधि |
संगम कला पुरस्कार | |
भरत मुनि सम्मान | शास्त्रीय संगीत और नर्तको को दिया जाता है। |
आंध्र रत्न | |
नृत्य विलास पुरस्कार | |
आधारशिला शिखर सम्मान | |
सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार | भारत के साहित्यकारों और कलाकारों को दिया जाता है। |
राष्ट्रीय नृत्य शिरोमणि पुरस्कार | नर्तको को दिया जाता है। |
राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार | सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और शांति को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। |
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार | 2012 |
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर पुरस्कार | 2016 |
कालिदास सम्मान | कालिदास सम्मान भारत के मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित कला सम्मान है। |
बिरजू महाराज के पिताजी अच्छन महाराज ही उनके गुरुजी थे।
इनका अस्पताल में नाम दुखहरण रखा गया और बाद में पंडित बृजमोहन मिश्र और कथक क्षेत्र में आने के बाद इनका नाम बिरजू महाराज हो गया।
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