Ramanuja Biography, Statue Haidrabad, Religion, Teachings, Philosophy, History In Hindi: आपको आचार्य रामानुज के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
परिचय
रामानुज (Ramanuja) एक दक्षिण भारतीय वैष्णव संत थे जिन्हे विशिष्टाद्वैत वेदान्त प्रवर्तक माना जाता है। आचार्य रामानुज को हिंदू धर्म शास्त्री और समाज सुधारक माना जाता है।
चर्चा में क्यों
- हैदराबाद के मुचिन्तल में रामानुज की 65.8 वर्ग मीटर लंबी मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को करने जा रहे है जिसका नाम समानता की मूर्ति (statue of equality) रखा है।
मुख्य बिंदु
- इन्ही की संत परंपरा ने कबीर, रैदास, सूरदास और रामानंद आदि हुए।
- इन्होंने श्रीरंगम् के यतिराज नामक संन्यासी से भारतीय परंपरा से सन्यास की शिक्षा ली।
- रामानुजाचार्य के प्रमुख ग्रंथो में श्रीभाष्यम् एवं वेदान्त संग्रहम् अग्रणी है।
रामानुज जीवनी | Ramanuja Biography In Hindi
रामानुज का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने वेदों की शिक्षा अपने गुरु यादव प्रकाश से ली। रामानुजाचार्य के गुरु श्री यामुनाचार्य भी प्रमुख आलवार सन्त थे। रामानुजाचार्य ने पूरे भारत की यात्रा करके वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया और 120 वर्ष की आयु में इनका ब्रह्मलीन हो गया।
नाम (Name) | रामानुज (Ramanuja) |
जन्म का स्थान और समय (Date Of Birth & Place) | 1017 ई., श्रीपेरुमबुदुर, तमिलनाडु, भारत |
मृत्यु का स्थान और समय (Date Of Death & Place) ब्रह्मलीन | 1137 ई., श्रीरंगम, तमिलनाडु, भारत |
माता पिता का नाम | माता कांतिमति और पिता असुरी केशव सोमयाजी |
धर्म (Religion) | हिंदू |
गुरु (Teacher) | श्री यामुनाचार्य |
सम्मान | श्रीवैष्णवतत्त्वशास्त्र के आचार्य |
गुरु का संकल्प | ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबन्धम् की टीका लिखना। |
रामानुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत दर्शन
आचार्य रामानुज ने अपने दर्शन ने परमात्मा के संबंध ने तीन स्तर माने जो निम्नलिखित है।
ब्रह्म | ईश्वर |
चित् | आत्म |
अचित् | प्रकृति |
- इसके अनुसार चित् अर्थात आत्म तत्व और अचित् तत्व भी ब्रह्म तत्व से अलग नहीं है। बल्कि ये दोनो ब्रह्म के ही स्वरूप है इसे ही रामनुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत कहा जाता है।
- जिस तरह से शरीर और आत्मा दोनो अलग अलग नहीं है शरीर आत्मा के उद्देश्य की पूरी के लिए कार्य करता है। उसी प्रकार ईश्वर से अलग होकर चित और अचित का कोई अस्तित्व नहीं है। यह ईश्वर का शरीर है और ईश्वर ही इसकी आत्म है।
रामानुज के अनुसार भक्ति कैसे करें?
- पूजा पाठ और कीर्तन ना करके ईश्वर की प्रार्थना करना ही भक्ति है।
- भक्ति से किसी जाति और वर्ग को वंचित नहीं किया जा सकता।
- जीव जो है वो ब्रह्म में पूर्ण विलय नही होता बल्कि भक्ति के माध्यम से उसके निकट जाता है इसे ही आचार्य रामानुज मोक्ष मानते है।
कुछ रोचक तथ्य
- रामानुजाचार्य जी ने अपने सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे थे।
- कई लोगो ने इन्हे भगवान राम के भाई लक्ष्मण का अवतार माना है।
- रामानुजाचार्य ने भक्ति को दार्शनिक रूप प्रदान किया।
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