Khalistani Movement Leader, Head, History, Map, In Hindi UPSC PDF DOWNLOAD: इस लेख में आपको खालिस्तान के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी।
खालिस्तानी आंदोलन
खालिस्तान आंदोलन एक सिखो द्वारा अलगाववादी आंदोलन है, जिसे विदेशो से संचालित किया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत के पंजाब राज्य को भारत से अलग करके एक सिख देश की स्थापना करना है, जिसका नाम खालसा पंथ के नाम पर खालिस्तान रखा जाना चाहिए। खालिस्तान का अर्थ आपको इससे समझ आएगा जिसमे खालसा का अर्थ होता है शुद्ध और खालिस्तान का अर्थ शुद्ध स्थान
मांग | खालिस्तान (भारत से अलग एक देश) |
उद्देश्य | सिखो के लिए एक देश |
संचालन | विदेशों से (अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों से ) |
आतंकी संगठन जिनसे माने जाते हैं तार | आईएसआई जैसी आतंकी संस्थाएं इसे संचालित करती है ऐसा माना जाता है |
कब से | ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद |
26 जनवरी 2022 को लेकर खलिस्तानियों की धमकी
खालिस्तानी आंदोलन समर्थक विदेशी संस्था सिख फॉर जस्टिस के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा है की, 26 जनवरी 2022 को दिल्ली में रहने वाले लोग अपने घरों में तिरंगा झंडा ना पहराके खालिस्तानी झंडा फहराया जाए।
खालिस्तान का नक्शा (MAP)
विदेशी संस्थाओं से बार बार अनेक खालिस्तान के मानचित्र प्रस्तावित किए जाते है जिसमें हमेशा पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के इलाकों को शामिल किया जाता है।
खालिस्तान का झंडा (Flag)
खालिस्तानी इसे अपना राष्ट्रीय ध्वज मानते है, जिसमे खालसा पंथ का चिह्न भी है।
खालिस्तान का चिह्न the
खालिस्तान के चिह्न में आपको खालसा पंथ के चिह्न के अलावा एक बाज नजर आएगा विदेशी संस्थाएं इसे गुरु गोबिंद सिंह जी से प्रेरित बताती है।
आतंकवाद से तार
खालिस्तानी आंदोलन के तार आपको आतंकवाद से भी जुड़े हुए मिल जायेंगे। 1980 से 1990 के दशक में खालिस्तान की मांग जोर पकड़ने लगी थी। साल 1984 ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद साधारण सिख भी इससे जुड़ने लगे।
आपको नीचे कुछ संगठनों के नाम बताए जा रहे है जिनसे खालिस्तानी आंदोलन प्रभावित होता है।
- बब्बर खालसा :- यह संगठन भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों में बैन है। इसने 27 जून 2002 को एयर इंडिया की फ्लाइट पर बमबारी की थी।
- भिंडरांवाले टाइगर फोर्स, बीटीएफ :- इसकी स्थापना गुरबचन सिंह मनोचहल द्वारा 1984 में की गई। लेकिन इनकी मृत्यु के बाद य संगठन बिखर सा गया।
- खालिस्तान कमांडो फोर्स :- इसकी स्थापना सरबत खालसा ने 1986 में की जिसे बाद में अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित कर दिया। ऐसा माना जाता है की बेअंत सिंह की हत्या में इसका हाथ था।
- खालिस्तान लिबरेशन आर्मी
- खालिस्तान लिबरेशन फोर्स :- यह कश्मीर में अलगाववादियों का साथ भी देता है।
- खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स :- यूरोपियन यूनियन ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है।
ऐसा माना जाता है की असली खालसा सिख कभी भारत भूमि से अलग होने की बात कह ही नही सकता
खालिस्तानी आंदोलन का विदेश से नाता
खालिस्तानी आंदोलन में सबसे बड़ा हाथ हमारे पड़ोसी पाकिस्तान का माना जाता है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान की नीति ब्लीड इंडिया के तहत वो भारत के कई टुकड़े कर देना चाहता है। पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान के माध्यम से पहले भारत के पूर्वी हिस्से पर कब्जा करना चाहता था और किसी भी कीमत पर कश्मीर को कब्जाना चाहता था। आप खालिस्तान के प्रस्तावित नक्शे को देख सकते हैं जिसके अनुसार भारत का संपर्क कश्मीर से टूट जाएगा और पाकिस्तान से आसानी से कब्जा सकेगा।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन
खालिस्तानी आंदोलन सबसे ज्यादा संचालित कनाडा अमेरिका और ब्रिटेन से होता है और वहीं पर इनकी संस्थाओं को आतंकी संस्था घोषित कर रखा है लेकिन फिर भी वह चुपके से इन को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं ऐसा भारतीय विशेषज्ञ मानते हैं।
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव और खालिस्तान
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव 1973 में तत्कालीन पंजाब सरकार दल शिरोमणि अकाली दल ने मांगो की सूची पर पारित किया। इसमें विदेशी, मुद्रा, रक्षा और संचार से संबंधित मामले केंद्र के पास लेकिन बाकी मामले पंजाब की राज्य सरकार को से देने चाहिए। कुछ लोगो ने इसे खालिस्तान की शुरुआत माना।
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जरनैल सिंह भिंडरांवाले और ऑपरेशन ब्लू स्टार का खालिस्तान संबंध
संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले को खालिस्तान का सबसे बड़ा समर्थक बताते है। कहा जाता है की 1984 के समय स्वर्ण मंदिर में मिसाइल लॉन्चर और गोला बारूद पाकिस्तान से आए थे। और उनके दम पर पाकिस्तान देश में ही भारत के लिए चुनौती खड़ा करना चाहता था।
जरनैल सिंह भिंडरांवाले इंदिरा गांधी द्वारा आदेशित भारतीय सेना द्वारा क्रियान्वित ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए। लेकिन उन्होंने भारतीय सेना के कई जवानों को मार डाला और उसके बाद देश में भारी भीषण दंगे हुए।
“सुब्रह्मण्यन स्वामी जी ने एक इंटरव्यू में बताया था की वो जरनैल सिंह भिंडरांवाले को संत मानते है और उन्होंने कभी खालिस्तान की मांग नही की। “
— सुब्रह्मण्यन स्वामी, लोकसभा सांसद
निष्कर्ष
जैसा आप सभी ने देखा की खालिस्तानी आंदोलन भारत देश विरोधी तो है ही और इसमें स्पष्ट रूप से पाकिस्तान और विदेशी संस्थाओं का हाथ है। आप सभी को तो पता ही है भारत में रहते हुए सभी गुरुओं ने भारत की एकता अखंडता की और भारतीय संस्कृति के साथ भारतीय धर्म की रक्षा की लेकिन आज उनके कुछ अनुयायी पाकिस्तान जैसे विदेशी देशों के बहकावे में आकर उसी गुरुओं के भारत की एकता और अखंडता ने आंच डाल रहे है।
हां, उनकी खालिस्तान की मांग जब जायज रहती तब भारत में सिखो के साथ दोहरी नागरिकता या दोगला बर्ताव होता लेकिन भारत जैसे सहिष्णु देश में ये संभव नही। भारत में सभी को बराबर अधिकार है लेकिन फिर भी विदेश से कुछ लोग खालिस्तान की मांग करते है लेकिन क्यों इसका जवाब आज भी स्पष्ट नहीं है।
Notes:- कृपया लेख जानकारी के उद्देश्य से बनाया गया है और किसी भी प्रकार की गलती हो सकती है उसे आप कॉमेंट बॉक्स में बता सकते है उसे हम सुधारने की कोशिश करेंगे बाकी जानकारी इंटरनेट से ली गई है।
खालिस्तानी आंदोलन का संपूर्ण इतिहास आपको Jodhpurnationaluniversity.com पर मिल जायेगा।
खालिस्तानी आंदोलन विदेश से ही संचालित किया जाता है। इसको लेकर संपूर्ण जानकारी Jodhpurnationaluniversity.com पर मिल जायेगी।
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