जुलाई 2022 में भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी का कार्यकाल समाप्त होने वाला है जिसके बाद आप सभी को यह पता होना चाहिए कि राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है और राष्ट्रपति के चुनाव में कौन कौन वोट करता है और बाकी आपके सभी सवालों का जवाब हम आज इस लेख (Article) में देने वाले हैं।
संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति का चुनाव जनता सीधे तौर पर ना करके अपने द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों (इलेक्टोरल कॉलेज) के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से करेगी।
भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में वोट डालने का अधिकार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जनता द्वारा चुने हुए विधायकों और लोकसभा और राज्यसभा के चुने हुए प्रतिनिधियों (सांसद) राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकते है। मनोनित किए गए सदस्य राष्टपति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते।
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है जिसमे वोटर एक ही वोट देता है लेकिन सभी कैंडिडेट को अपनी प्राथमिकता देता है। वह सभी कैंडीडेट्स में अपनी पहली, दूसरी, तीसरी जितने भी कैंडिडेट है उतनी पसंद दे सकता है। यदि किसी उम्मीदवार को पहली पसंद के वोटो से विजय नही मिलती तो उम्मीदवार को वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर कर दिया जाता है जिसके कारण ही इसे एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहते हैं।
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति के पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए जिनमें वह भारत का नागरिक हो और उसकी उम्र 35 वर्ष कम से कम हो। उसके पास लोकसभा का सदस्य बनने की सारी योग्यताएं होनी चाहिए और इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थक उसके पास होने चाहिए।
वोट डालने वालों की एक वोट का बेटी भी अलग अलग होता है यहां तक कि एमएलए एमपी दोनों के वोट का वेटेज अलग अलग होता है और दो अलग-अलग राज्यों की एमएलए का वेटेज भी अलग अलग हो सकता है।
भारत में राष्ट्रपति की चुनाव के लिए एक विधायक के वोट का वेटेज उस राज्य की जनसंख्या में चुने हुए प्रतिनिधियों (विधायको) की संख्या का भाग देते है फिर जो उत्तर आता है उसमे 1000 का भाग देते है। और अगर 1000 का भाग देने के बाद भी उत्तर 500 से अधिक आता है तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है। और यही एक राज्य के विधायक का राष्ट्रपति चुनाव में वोट वेटेज होता है।
सबसे पहले चुने हुए राज्यों की विधानसभाओं के चुने हुए प्रतिनिधियों (विधायक) के वोट के वेटेज को जोड़ा जाता है और अब सामूहिक जो वेटेज आता है उसमे लोकसभा और राज्यसभा के चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या का भाग दिया जाता है। और अगर भाग देने के बाद 0.5 से ज्यादा बचता है तो उसमे 1 जोड़ा जाता है। यही राष्ट्रपति के चुनाव में एक एमपी के वोट का वेटेज होता है।
तो दोस्तो हम आशा करते है की आप सभी को भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रणाली और कौन कौन इसमें भाग ले सकता है। और उसके बाद किस प्रकार राष्ट्रपति के चुनाव में वोटो की गिनती की जाती है।
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